मिसाल कायम कर रहे मनरेगा मजदूर, बाढ़ प्रभावितों के बीच बांट रहे राहत सामग्री
कठिनाई के बाद भी मनरेगा वॉच मदद में जुटा। बाढ़ प्रभावित इलाके में अब तक बीस हजार लोगों को मदद पहुंचाई जा चुकी है।
मुजफ्फरपुर [संजीव कुमार]। मनरेगा मजदूर बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच राहत सामग्री पहुंचाकर मिसाल कायम कर रहे हैं। जिले में इन मजदूरों का संगठन मनरेगा वॉच बाढ़ प्रभाविताें की मदद में तत्परता से जुटा है। संगठन के पुरुष ही नहीं महिला कार्यकर्ता भी इस काम में हिस्सा ले रही हैं। उनके अंदर जो संवेदनशीलता है, वह उदाहरण की तरह है। इससे सीख लेने की जरूरत है। संगठन के अध्यक्ष संजय सहनी बताते हैं कि लोगों के सहयोग से बाढ़ प्रभावित इलाके में अब तक बीस हजार लोगों को मदद पहुंचाई जा चुकी है।
पहले कोरोना अब बाढ़ के कारण मजदूराें के जिंदगी पर संकट
पहले कोरोना के कारण मजदूरों के सामने जीवनयापन करने की समस्या रही। अब बाढ़ के काल में न जाने कितने मजदूरों की जिंदगी पर सकंट के बादल छाए हैं। लेकिन, मजदूरों में सभी सकंटों को पीछे छोड़ने का जज्बा है। संजय कहते हैं कि काेरोना व लॉकडाउन के बाद बाढ़ ने मनरेगा मजदूरों को झकझोर कर रख दिया है।
सारा सामान खो देने वाली महिलाओं ने भी नहीं हारी हिम्मत
घर सहित सारा सामान बाढ़ में खो देने वाली सैकड़ों महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी। मनरेगा में काम करने वाली महिलाएं बहुत ही गरीब परिवार से होती हैं। इनके पास न जमीन है और न ही कोई और आय का साधन है। बाबजूद इस मुसीबत में चंदा जुटाकर अब तक बीस हजार बाढ़ प्रभावित परिवारों को मदद की जा चुकी है।
इस तरह से हुई शुरुआत
मनरेगा वॉच के अंदर कुढ़नी, सकरा, बंदरा, गायघाट, मुशहरी, मुरौल सहित जिले के अन्य प्रखंडों की महिलाएं जुड़ी हैं। सभी एक दूसरे का मोबाइल नंबर रखती हैं। जिले में जैसे ही बाढ़ आई। महिलाएं अन्य प्रखंडों के महिलाओं सहित संगठन के अध्यक्ष संजय को फोन कर संपर्क की। इसके बाद आपस में चंदा जुटाने का काम किया गया। तदोपरांत प्रभावित परिवारों की मदद की गई। उसके बाद आमलोगों से भी अपील कर बाढ़ पीड़ितो की मदद की गुहार लगाई गई।
साइकिल व पैदल ही निकल जाते
इन लोगों के पास वाहन की सुविधा नहीं है। इसलिए ये लोग राहत सामग्री लेकर साइकिल व पैदल ही प्रभावित इलाकों में वितरण करने पहुंच जाते हैं। सिर पर बोरी रखकर गर्दन भर पानी वाले इलाकों में इनकी तरफ से राहत वितरण किया गया।
अपील पर कुछ लोगों ने किया सहयोग
अपील के बाद कुछ लोग पैसे देने को तैयार हुए। लेकिन, मनरेगा वॉच के पास बैंक खाता नहीं होने से संजय ने एक अन्य संस्था से बात कर उनके खाते में पैसे मंगवाए। बाद में उक्त संस्था द्वारा कहा गया कि वे ऐसे दुकानदार को भुगतान करेंगे जिनके पास जीएसटी नंबर हो। फिर जीएसटी नंबर वाले दुकानदार से राहत सामग्री लेकर उन्हें पैसे का भुगतान किया गया। उसके बाद सामान लेकर मनरेगा के सदस्यों ने सभी प्रखंडों में प्रभावित लोगों तक राहत पहुंचाने का काम किया।