भीषण गर्मी में माह-ए-रमजान, मुश्किल होगा सब्र का इम्तिहान
गर्मी की तपिश में रोजेदारों को कठिन इम्तिहान से गुजरना होगा।
मुजफ्फरपुर । गर्मी की तपिश में रोजेदारों को कठिन इम्तिहान से गुजरना होगा। माह-ए-रमजान का आरंभ 17 मई से होने की उम्मीद है। उस समय गर्मी चरम पर होगी। इसमें रोजेदारों को भूख-प्यास की तड़प को सहन कर अल्लाह की रजा के लिए सब्र का इम्तिहान देना पड़ेगा। 16 मई को चाद दिखा तो 17 मई को रमजान का पहला रोजा होगा। विगत कई वर्षो से माह-ए-रमजान में बारिस से राहत मिलती रही है। इस वर्ष इस महीने में बारिस की उम्मीद कम है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो 15 जून से बरसात शुरू होती है। इस बार उस समय तक रमजान खत्म होने को रहेगा। हालांकि, समुदाय के लोगों का कहना है कि रमजान में बारिस होगी या नहीं ये अल्लाह की मर्जी है। मरकजी खानकाह व इदारे तेगिया के सज्जादानशीं अल्हाज शाह अलवीउल कादरी ने कहा कि चांद नजर आने के बाद ही रमजान की शुरुआत होगी। गर्मी कितनी ही भीषण क्यों न हो, रोजेदार अल्लाह के हुक्म को पूरा करने से पीछे नहीं हटेंगे। कंपनीबाग जामा मस्जिद के इमाम मौलाना आले हसन ने कहा कि रमजान सब्र का महीना है। रोजेदार भूख-प्यास की तड़प को अल्लाह की रजा के लिए कुर्बान करते हैं। शिया मौलाना सैयद काजिम शबीब ने कहा कि रमजान चाहे कितनी ही गर्मी में हो, इसमें अल्लाह वाले रोजा रखेंगे ही।
2010 से इन महीने में शुरू हुआ रमजान
वर्ष - पहला रोजा
2010 - 11 अगस्त
2011 - 01 अगस्त
2012 - 20 जुलाई
2013 - 09 जुलाई
2014 - 28 जून
2015 - 18 जून
2016 - 07 जून
2017 - 27 मई
2018 - 17 मई (अनुमानित)
रमजान में मस्जिदों में नमाजियों की संख्या बढ़ जाती है। खासकर इस महीने में अदा होने वाली विशेष नमाज तरावीह में काफी लोग शामिल होते हैं। रमजान को लेकर मस्जिदों में एसी का इंतजाम रहेगा। कई मस्जिदों में इसकी कवायद शुरू हो गई है। तिलक मैदान मस्जिद के सचिव तैयब आजाद ने कहा कि निचले तल पर 10 एसी लगाए गए हैं। प्रथम तल पर भी 10 एसी लगाए जाएंगे। बैंक रोड मस्जिद के सचिव हाजी मजहरुल बारी उर्फ पप्पू ने कहा कि मस्जिद में तीन एसी लगाए गए हैं। एक और लगाया जाएगा। ब्रह्मापुरा मस्जिद नेदा के इंतजामिया कमेटी के सदस्य हाजी अकील अहमद ने कहा कि नमाजियों की सुविधा के लिए चार एसी लगे हैं।
10-11 दिन पीछे हो जाता है महीना
इस्लामी महीने की शुरुआत चांद नजर आने के बाद होती है। अंग्रेजी कैलेंडर की तुलना में हर साल 10 या 11 दिन कम हो जाते हैं। हर महीना 10 दिन पीछे हो जाता है।