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दिल्ली-मुंबई में बिकेगी मधुबनी की सिक्की राखी, आनलाइन डिमांड

सिक्की से राखी बनाने का काम पिछले साल शुरू हुआ था। तब तकरीबन दो लाख की राखियों की बिक्री हुई थी। इस बार मांग अधिक है। व्यापारियों की ओर से अबतक एक लाख मूल्य की राखियों के ऑर्डर मिल चुके हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 09:09 AM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 09:09 AM (IST)
सिक्की राखी बनातीं (दाएं से) सुधीरा देवी व राधा कुमारी। फोटो- जागरण

मधुबनी, [कपिलेश्वर साह]। रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाइयों पर सिक्की (एक प्रकार की घास) से बनीं राखियां सजेंगी। रंग-बिरंगी और विभिन्न आकार की राखियों के आर्डर राजधानी पटना के अलावा देश के प्रमुख महानगरों से मिले हैं। दो दर्जन से अधिक कलाकार पिछले एक पखवारे से निर्माण में जुटी हैं। सिक्की से राखी बनाने का काम पिछले साल शुरू हुआ था। तब तकरीबन दो लाख की राखियों की बिक्री हुई थी। इस बार मांग अधिक है। व्यापारियों की ओर से अबतक एक लाख मूल्य की राखियों के ऑर्डर मिल चुके हैं। इसके अलावा दिल्ली के अटल भारत फाउंडेशन, पटना स्थित सत्या फाउंडेशन, शिल्पग्राम दरभंगा, हाथवाला दिल्ली, कारीगर ऑफ इंडिया दिल्ली और अनुजा लखनऊ जैसे गैरसरकारी संगठनों ने भी राखियों के आर्डर भेजे हैं। कलाकार सुधीरा देवी बताती हैं कि इस साल करीब 10 लाख का कारोबार होने का अनुमान है। कोरोना के कारण पूरा कारोबार ऑनलाइन है। डिमांड से लेकर सप्लाई और भुगतान भी इसी प्लेटफॉर्म पर है। खरीदार कलाकारों से सीधे संपर्क कर रहे हैं। वीडियो क्लिप बनाकर सैंपलिंग की जा रही है।

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रोजाना 200 से 500 तक की कमाई 

सिक्की घास जुलाई से सितंबर के बीच तालाब या सड़क किनारे स्वत: निकल आती है। यह बाजार में भी 250 से 350 प्रतिकिलो की दर से मिलती है। इसे विभिन्न रंगों में रंगकर चाकू और टकुआ (लोहे का नुकीला औजार) की मदद से राखी बनाई जाती है। एक कलाकार प्रतिदिन पांच से छह राखी तैयार कर रही हैं। प्रति राखी की कीमत 50 से 200 रुपये तक है। निर्माण में लागत 10-15 फीसद तक लागत आती है। एक कलाकार को प्रतिदिन 200 से 500 रुपये तक की आमदनी हो रही है। बड़े पैमाने पर ऑर्डर मिलने पर सीजन में एक कलाकार को 30 से 50 हजार रुपये तक की आमदनी की उम्मीद है। ऑर्डर पूरा करने में जुटीं राधा कुमारी, अर्चना कुमारी, विभा कुमारी, रुणा देवी का कहना है कि घर बैठे बेहतर कमाई हो रही है।

इंडिया टाय फेयर से मिली सिक्की कला को पहचान 

दिल्ली में इस साल फरवरी-मार्च में आयोजित इंडिया टाय फेयर में झंझारपुर प्रखंड के रैयाम की सिक्की कलाकार सुधीरा देवी शामिल हुई थीं। उनके बनाए सिक्की के खिलौनों लोगों ने काफी पसंद किए थे। इससे मधुबनी की इस कला को देश-दुनिया में पहचान मिली। इसके चलते इस बार राखियों की मांग अधिक है। (हस्तशिल्प) वस्त्र मंत्रालय के सहायक निदेशक मुकेश कुमार का कहना है कि टाय फेयर के बाद सिक्की कला को बड़ा बाजार मिलने लगा है। इसके विकास के लिए बाजार उपलब्ध कराने के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।  


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