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Positive India: दरभंगा की मधु ने कोरोना काल में महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर, जानिए

दरभंगा शहर की मधु ने 300 महिलाओं को दिया सिलाई का प्रशिक्षण। मास्क के साथ कपड़ों की करतीं सिलाई प्रतिदिन 500 रुपये तक आमदनी।

By Murari KumarEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 05:33 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 05:33 PM (IST)
Positive India: दरभंगा की मधु ने कोरोना काल में महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर, जानिए

दरभंगा [दिनेश राय]। कोरोना के चलते बहुत से लोगों की नौकरी छूट गई। रोजगार बंद हो गया। आíथक संकट खड़ा हो गया। ऐसे समय में दरभंगा शहर की मधु सरावगी ने तकरीबन 300 महिलाओं को रोजगार देने का काम किया। वे महिलाओं और लड़कियों के रेडिमेड कपड़े बनाने के साथ बुटिक का काम करती हैं। कोरोना की शुरुआत हुई तो मास्क सिलाई का काम भी शुरू किया।

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 मधु पांच साल से सिलाई संस्थान चलाती हैं। यहां बने कपड़े स्थानीय बाजार में आपूर्ति करती हैं। निशुल्क प्रशिक्षण देने के साथ 25 महिलाओं को रोजगार भी दिया है। मार्च में जब कोरोना के चलते लॉकडाउन शुरू हुआ तो लोगों के सामने आर्थिक संकट पैदा होने लगा। मास्क की कमी सामने आई। ऐसे में मधु ने बेरोजगार महिलाओं को जोड़ने का काम किया।

 तकरीबन 300 महिलाओं-युवतियों को सिलाई सिखाने के साथ मास्क बनाने का प्रशिक्षण दिया। जिन महिलाओं के पास सिलाई मशीन नहीं थी, उन्हें उपलब्ध कराया। अब तक ये महिलाएं चार लाख से अधिक मास्क बना चुकी हैं। प्रति मास्क दो रुपये महिलाओं को देती हैं। एक महिला प्रतिदिन तकरीबन 80 मास्क बना लेती है। इसके अलावा सिलाई के अन्य काम भी करती हैं। इससे प्रतिदिन 300 से लेकर 500 रुपये कमा लेती हैं। अधिकतर महिलाएं घर से काम करती हैं।

 शुभंकरपुर की सरिता देवी, कादिराबाद की गीता देवी और मिश्र टोला की संध्या का कहना है कि कोरोना संकट में सिलाई के काम से उन्हें बड़ा सहारा मिल रहा। घर पर रहकर काम कर लेती हैं। सिलाई के लिए घर पर भी लोग पहुंच जाते हैं।

एचआइवी पॉजिटिव महिलाओं के लिए भी किया काम

मधु ने लहेरियासराय स्थित एचआइवी हॉस्पिटल में भर्ती महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए दो सिलाई मशीनें दी हैं। वहां की महिलाओं सिलाई का प्रशिक्षण भी दिया है। वे गरीब बच्चों की पढ़ाई और लड़कियों की शादी में मदद भी करती हैं। मधु के पति एसबीआइ में लिपिक हैं। वह कहती हैं, मायके में अपने खेत में गरीब महिलाओं को काम करते देख उन्हें स्वावलंबी बनाने का विचार आया।


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