बछिया के जन्म की प्रयोग स्थली बनेगा पश्चिम चंपारण का माधोपुर कृषि विज्ञान केंद्र
केंद्र सरकार ने स्वीकृत किए साढ़े छह करोड़ एक साल में मिलेगा लाभ। पंजाब हरियाणा और पंजाब से लाई जाएंगी देसी नस्ल की गायेंं।
पश्चिम चंपारण, [शशि कुमार मिश्र]। देसी नस्ल की उन्नत गायों के प्रति पशुपालकों का रुझान बढ़े। इसके लिए केंद्र सरकार की गोसंवद्र्धन योजना के तहत जिले में काम शुरू हुआ है। इसके लिए माधोपुर कृषि विज्ञान केंद्र को चुना गया है। यहां पशु चिकित्सा विज्ञान विभाग ने ऐसी परियोजना की शुरुआत की है, जिसमें यहां की देसी नस्ल की गायें केवल बछिया देंगी। इन्हें पशुपालकों को निर्धारित मूल्य पर दिया जाएगा।
देसी नस्ल की गायों को घटती संख्या को देखते हुए सरकार गोसंवद्र्धन योजना चला रही। इसके तहत माधोपुर कृषि विज्ञान केंद्र को भी चुना गया है। इस काम के लिए साढ़े छह करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। यहां 100 से 150 साहीवाल, रेड ङ्क्षसधी एवं गिर प्रजाति की गायों को रखा जाएगा। गिर प्रजाति की गाय गुजरात, साहीवाल हरियाणा व पंजाब तथा रेड ङ्क्षसधी गायें नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल से मंगाई जाएंगी।
इनविट्रो तकनीक का होगा इस्तेमाल
कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक सह पशु विज्ञान के विशेषज्ञ डॉ. एसके गंगवार ने बताया कि इनविट्रो तकनीक से प्रयोगशाला में ही सांड़ के शुक्राणु व गाय के अंडाणु को क्रास कराया जाएगा। इसके बाद बने एम्ब्रियो की लिंग जांच होगी। जांच में यदि मादा एम्ब्रियो पाया जाता है तो गाय की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित कर दिया जाएगा। इस प्रकार गाय केवल बछिया देगी। इस योजना में दो पशु चिकित्सक, तीन तकनीकी सहायक सहित 50 कर्मियों की टीम रहेगी। एक सप्ताह में काम शुरू हो जाएगा। एक साल में पशुपालकों को लाभ मिलने लगेगा। उन्होंने बताया कि पहले चरण में देसी नस्ल की गायें 15 से 20 लीटर प्रतिदिन दूध देंगी। वे 30 से 40 लीटर दूध दें, इस पर काम होगा। इसमें दो साल लगेंगे।
देसी गायों का दूध अधिक पोषक
डॉ. मोहनीश कुमार सिन्हा का कहना है कि देसी गायों का दूध अधिक पोषक होता है। इसमें पाए जाने वाले ओमेगा 3 फैटी एसिड से मानसिक रोगों से निजात के साथ-साथ हृदय रोग से बचाव होता है। ओमेगा 3 गर्भवती व शिशुओं के लिए भी लाभदायक होता है। इस दूध में विटामिन डी की अधिकता के कारण जोड़ों के दर्द में राहत प्रदान करता है।