अपने दम पर दी बेरोजगारी को मात, इनके हौसले को सब कर रहे सलाम
गरीबी को मात देकर उर्मिला ने मिसाल कायम की है। आज वह दो साल से ई रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। कई महिलाओं ने प्रेरित हो उनसे ई रिक्शा चलाना सीखा है।
मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। दो साल पहले गरीबी के चलते घर चलाना मुश्किल था। राजमिस्त्री पति की कमाई इतनी नहीं थी कि दो जून की रोटी आराम से मिल सके। एक बच्चे को पाला जा सके। ऐसी स्थिति में परिवार की गाड़ी चलाने के लिए बेला छपरा की 30 वर्षीय उर्मिला देवी ने अपने पैर पर खड़ा होने का निर्णय लिया। पहले ई-रिक्शा चलाना सीखा। फिर लोन लेकर खरीदा। आज प्रतिदिन पांच से छह सौ की आमदनी हो जाती है। उनकी प्रेरणा से कई महिलाएं यह काम सीख चुकी हैं।
बोधगया में लड़की को ई-रिक्शा चलाते देखा
वर्ष 2016 में उर्मिला आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं। इसके साथ काम करने के दौरान एक शिविर में बोधगया जाने का मौका मिला। वहां एक लड़की को ई-रिक्शा चलाते देखा। तभी उनके मन में इसे चलाने का विचार आया। वापस आने पर टीम के सामने अपनी बात रखी। समूह की मदद से ट्रेनिंग की व्यवस्था हुई। सात दिन का प्रशिक्षण था, लेकिन तीन दिन में ही चलाना सीख लिया। फिर मुद्रा लोन योजना के तहत ई-रिक्शा खरीदा। इससे वे प्रतिदिन पांच से छह सौ रुपये कमा लेती हैं। उनके इस काम में पति संजय राम पूरी मदद करते हैं। जब घर में ज्यादा काम होता है तो पति भी रिक्शा लेकर चले जाते हैं।
महिला सवारी दौड़कर आतीं
उर्मिला कहती हैं, वे जब भी रोड पर चलती हैं महिला सवारी उनके पास दौड़ते हुए आती हैं। कभी-कभी गांव से ही बुकिंग मिल जाती है। उनकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को अपने पैर पर खड़ी कर सकें। अब तक पांच महिलाओं को उन्होंने ई-रिक्शा चलाने का प्रशिक्षण दिया है। ये सरिता देवी, नूतन कुमारी, नगीना देवी और रुबी कुमारी हैं। इन महिलाओं का कहना है कि उर्मिला को देख हमें लगा कि इसके जरिए वे भी परिवार की मदद कर सकती हैं।