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गोधन पूजा के साथ हरिसभा में खुला मां का पट, जानें कब से है परंपरा Muzaffarpur News

जय मां दुर्गे के जयघोष से गूंज उठा शहर। मां दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन को पहुंच रहे भक्तगण। पुष्पांजलि के बाद पट खुला। ढाक भी बजाए गए।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 09:18 AM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 09:18 AM (IST)
गोधन पूजा के साथ हरिसभा में खुला मां का पट, जानें कब से है परंपरा Muzaffarpur News
गोधन पूजा के साथ हरिसभा में खुला मां का पट, जानें कब से है परंपरा Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। हरिसभा स्कूल में गोधन पूजा के साथ ही मां का पट खोल दिया गया। पुरोहित सुकांतो बनर्जी व सुनीत बनर्जी ने विधिवत पूजा कराई। पत्रिका प्रवेश के बाद महाषष्ठी पूजा हुई। पुष्पांजलि के बाद पट खुला। ढाक भी बजाए गए। पूरे विधि-विधान से पूजन के बाद मां का आह्वान किया गया। इस दौरान समाज के बच्चों व स्थानीय कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। बांग्ला व हिन्दी गीतों पर नृत्य व गीतों की शानदार प्रस्तुति देकर बच्चों ने दर्शकों को मुग्ध कर दिया। मौके पर अध्यक्ष डॉ.डीके दास, उपाध्यक्ष देवाशीष गुहा, सचिव उज्ज्वल दास, संयुक्त सचिव विजय दास, अर्पण बोस, कुणाल चक्रवर्ती व जय अधिकारी, कोषाध्यक्ष मृणाल दास, दुर्गा दास, चंद्रनाथ गांगुली, अमरनाथ चटर्जी, शिखा मजूमदार, ओरिदित चटर्जी, आनंदो कुमार गुहा, शुभाशीष बोस आदि भी मौजूद रहे।

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118 सालों से हो रही पूजा

पूजा समिति के सचिव उज्ज्वल दास ने बताया कि सप्तमी से मूर्ति पूजा की जाएगी। चक्षु दान भी होगा। बताया कि यहां 118 वर्षों से बंगाली समुदाय की ओर से विधिवत पूजा की जाती है। हरिद्वार व पहलेेजा से गंगाजल लाकर माता को भोग भी लगाया जाता है।

ढाकी के साथ होता धुनुची नृत्य

पूर्व अध्यक्ष अजय घोष ने बताया कि सप्तमी से नवमी तक प्रत्येक दिन विशेष पूजा होगी। बताया कि पूजा व महाआरती के समय ढाकी के साथ धुनुची नृत्य होता है। इसके लिए बंगाल से ढाक मंगवाया गया है। तीनों दिन प्रसाद वितरण होगा। तीनों दिन बलिदान की रस्म होगी। जिसमें किसी भी जीव की बलि नहीं दी जाएगी, बल्कि उसकी जगह सजकोंहरा, गन्ना व गागर नींबू उपयोग में लाया जाएगा।

कल होगा दीपदान यज्ञ

रविवार की दोपहर संधि पूजा के दौरान बलिदान की रस्म के बाद दीपदान यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इसमें 108 दीप जलाए जाएंगे। पुष्पांजलि के साथ संधि पूजा का समापन होगा।

महिलाएं खेलेंगी सिंदूर की होली

दशमी के दिन विसर्जन के दौरान महिलाएं सिंदूर की होली खेलेंगी। इसके बाद लोग शोभा यात्रा के रूप में अखाड़ाघाट जाकर मूर्ति विसर्जन करेंगे। इसके पूर्व नवमी के दिन होने वाले भंडारा में हजारों लोग शामिल होंगे। रात में माता को शीतल भोग लगेगा।

पारंपरिक मूर्ति का होता है निर्माण

यहां हर साल एक ही चाल पर पारंपरिक स्वरूप की मूर्ति बनती है। कोलकाता से मूर्तिकार आते हैं। कोलकाता से आए गोल्डेन साज से मां का महाशृंगार किया जाता है। वाराणसी से साड़ी मंगवाई जाती है।

पूजा पंडाल में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे

भीड़ व सुरक्षा को देखते हुए पूजा पंडाल में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। दर्शन को आए भक्तों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए स्वयंसेवकों की भी तैनाती की गई है।

मीना बाजार में करेंगे पसंद की खरीदारी

हरिसभा स्कूल में श्रद्धालुगण मां के पारंपरिक स्वरूप के दर्शन के बाद मीना बाजार में अपनी पसंद के अनुसार खरीदारी करेंगे। लोगों के मनोरंजन के लिए कई तरह के स्टॉल भी लगाए गए हैं। 


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