बकरी पालन से कम लागत में अधिक आमदनी, गरीबों के लिए लाभकारी
बकरी पालन ले रहा व्यवसाय का रूप। बकरी पालन को लेकर पांच दिवसीय व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम। बकरी पालन सूखे के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। छोटे सीमांत किसानों के लिहाज से काफी प्रभावी है। इसमें कम लागत होने के साथ ही आजीविका के विकल्प भी बढ़ जाते हैं।
मधुबनी, जासं। जिले में बकरी पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। बकरी पालन को व्यावसायिक तौर पर विस्तार करने की योजना पर काम चल रहा है। बकरी पालन व्यवसाय से लोगों को जोड़ने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण आत्मा मधुबनी के तत्वावधान में पांच दिवसीय व्यवसायिक बकरी पालन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला कृषि पदाधिकारी सहपरियोजना निदेशक , आत्मा ने कहा कि बकरी पालन पशुपालन का एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में हमेशा से ही उपयोगी एवं लाभकारी रहा है। सूखे के क्षेत्र में इसका और महत्व बढ़ जाता है।
बकरी पालन सूखे के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। छोटे सीमांत किसानों के लिहाज से काफी प्रभावी है। इसमें कम लागत होने के साथ ही आजीविका के विकल्प भी बढ़ जाते हैं । बकरी दूध एवं मांस के लिए पाला जाता है। बकरी पालन का एक लाभकारी पहलू यह भी है कि इसे बच्चे एवं महिलाएं आसानी से पाल सकती है । वर्तमान में बकरी पालन देश के विभिन्न प्रांतों में व्यवसाय का रूप ले लिया है। बकरियों की संख्या में निरंतर वृद्धि इनके सामाजिक और आर्थिक महत्व को दर्शाता है । प्रशिक्षक संतोष कुमार ने जिले के सभी प्रखंडों से आए हुए किसानों को बकरी पालन के महत्व से अवगत कराते हुए आश्वस्त किया कि बकरी पालन से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या से हमें अवगत कराकर उसका समाधान पा सकते हैं।
उन्होंने किसानों से कहा कि बकरी पालन कैसे करें ,कब करें, किस नस्ल का चयन करें एवं बकरी पालन से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण में किया जाएगा । सहायक निदेशक- उद्यान ने कहा कि बकरी पालन समेकित कृषि प्रणाली का एक अवयव है, जिसमें एक अवयव का अपशिष्ट दूसरे अवयव के उपयोगी के रूप में काम करता है। उन्होंने कहा कि बकरी पालन गरीबों का एक एटीएम है जिसे बहुत ही आसान और सहजता पूर्वक किया जा सकता है। बकरी पालन से किसान अपनी आमदनी में कम समय में वृद्धि कर सकते हैं और अपनी आजीविका में बदलाव ला सकते हैं । बकरी पालन को एक व्यवसाय के रूप में करके किसान अपनी स्थिति में सुधार ला सकते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहायक निदेशक - पौधा संरक्षण प्रमोद सहनी, सहायक निदेशक -कृषि अभियंत्रण दिलीप कुमार शर्मा भी मौजूद थे।