ऑटो से 60 घंटे में तय की 1100 किमी की दूरी, छह को पहुंचाया घर
लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थिति में लोग महानगरों को छोड़ गांव की ओर लौट रहे हैं। महानगरों की सड़कों पर पसरे सन्नाटे के बीच खाने-पीने की परेशानी और गांव में रह रहे स्वजनों से मिलने की बेकरारी में जैसे-तैसे ही कूच कर रहे हैं।
मुजफ्फरपुर। लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थिति में लोग महानगरों को छोड़ गांव की ओर लौट रहे हैं। महानगरों की सड़कों पर पसरे सन्नाटे के बीच खाने-पीने की परेशानी और गांव में रह रहे स्वजनों से मिलने की बेकरारी में जैसे-तैसे ही कूच कर रहे हैं। इसी क्रम में दिल्ली की सड़कों पर ऑटो चलाकर जिंदगी की गाड़ी खींचने वाले सीतामढ़ी जिले के अशोक ने हिम्मत दिखाई। अपने ऑटो पर सीतामढ़ी व मुजफ्फरपुर के छह लोगों को बैठाकर उन्हें उनके घर पहुंचाने में सफलता पाई है। उन्होंने ऑटो से करीब 60 घंटे में 1100 किमी की दूरी तय की। रविवार को सुबह गांव पहुंचने से पहले अशोक समेत उसके साथ आए लोगों की एसकेएमसीएच व कोरलहिया में मेडिकल जांच हुई। कोरलहिया में हाथ पर मुहर लगाने के बाद छोड़ा गया। अशोक ने बताया कि वह लंबे समय से दिल्ली में रहते आ रहे हैं। पहले दूसरे की ऑटो चलाते थे। अब अपनी खरीद ली है। वहीं पर उसके तीन साले मुजफ्फरपुर जिले के ललन महतो, सोमन महतो व छोटे महतो भी वाहन चलाते थे। लॉकडाउन के चलते दिल्ली में वाहनों का चलना बंद हो गया। दुकान-बाजार सब बंद हो गए। खाने-पीने का संकट हो गया। गांव से स्वजन बुलाने लगे। इसके बाद साले की सलाह पर अशोक ने अपने ऑटो पर तीनों को बैठाया। पास में रह रहे सीतामढ़ी जिले के ही परमेश्वर महतो, विश्वनाथ महतो व राम किशोर साह भी उसके ऑटो पर सवार हो गए। अशोक समेत सात लोग 27 मार्च को सुबह नौ बजे दिल्ली से कूच किए। दो दिन और दो रात सफर में गुजर गया। रविवार को सुबह वह मुजफ्फरपुर में तीनों साले और सीतामढ़ी के तीनों लोगों को घरों तक छोड़कर अपने गांव पहुंचे। बताया कि रास्ते में दिल्ली, यूपी और बिहार की सरकार ने काफी सहयोग किया। खाना व पानी भी दिया। पुलिस ने भी सहयोग किया। पुलिस वाले भी उसके हौसले की प्रशंसा करते रहे। बताया कि कई स्थानों पर डॉक्टर की टीम ने स्वास्थ्य की जांच की। बताया कि सीएनजी पर छह हजार का खर्च आया। लॉकडाउन खत्म होने के बाद फिर दिल्ली रवाना होने की बात कही।