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ढाई वषरें से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल का इंतजार, एक दशक से चापाकल पड़े बेकार

मुजफ्फरपुर मैं बोचहां प्रखंड की लोहसरी पंचायत बोल रही हूं। मेरे वाशिदे अधिकतर किसान हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 01:30 AM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 01:30 AM (IST)
ढाई वषरें से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल का इंतजार, एक दशक से चापाकल पड़े बेकार
ढाई वषरें से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल का इंतजार, एक दशक से चापाकल पड़े बेकार

मुजफ्फरपुर : मैं बोचहां प्रखंड की लोहसरी पंचायत बोल रही हूं। मेरे वाशिदे अधिकतर किसान हैं जो अपनी लगन और मेहनत के बल पर पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। फिर भी बिजली, शुद्ध पेयजल, सड़क, जर्जर तार-पोल के साथ शिक्षा की अव्यवस्था का दंश झेल रही हूं। विद्युत विभाग न तो जर्जर तार-पोल को ठीक कर रहा और न ही ट्रांसफॉर्मर पर ओवर लोडिंग की समस्या का ही निदान कर रहा। इससे लोगों को परेशानी हो रही है। घर-घर बिजली पहुंचाने वाली कार्य एजेंसी सिर्फ खानापूरी में लगी है।

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वहीं, जनवितरण प्रणाली की दुकानों में मिलने वाली केरोसिन की कटौती भी बड़ी समस्या बन गई है। यहां ं शुद्ध पेयजल की सबसे बड़ी समस्या है। दो बार तो सिर्फ शिलान्यास ही हुआ है। कबतक लोगों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति होगी, कहा नहीं जा सकता। जबकि इस पंचायत में चार जलमीनार आवंटित है। एक दशक से खराब चापाकलों की आजतक मरम्मत नहीं कराई गई। दाखिल- खारिज और लगान यानी राजस्व रसीद की तो समस्या गंभीर है। राजस्व कर्मचारी के नियमित नहीं आने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। जागरण के चौपाल में जग्रनाथ मंडल सहित अन्य किसानों ने कहा कि देश में प्रसिद्ध लोहसरी पंचायत सुविधाओं की बलि चढ़ गई है। सिंचाई की समस्या के साथ जंगली पशुओं के आतंक से सब्जी की खेती तो कमोवेश बंद ही है। अब मक्के की खेती को भी नीलगाय और वनैया सुअर बर्बाद कर रहे हैं। वन विभाग के साथ प्रशासन भी इस समस्या पर मौन है। विद्यालयों की लचर व्यवस्था से बच्चों को शहर और दूरदराज के स्कूलों में जाना पड़ता है। शिक्षकों की मनमर्जी से हालात और बिगड़ गए हैं। विभागीय अधिकारी जांच नहीं करते जिससे स्थिति दिनोंदिन बिगड़ रही है। सुरयाही महादलित बस्ती में डेढ़ दशक से विद्यालय चल रहा है जहां भवन के अभाव में धूप व बरसात में शिक्षा व्यवस्था बाधित हो जाती है। मध्याह्न भोजन भी मेनू के हिसाब से नहीं दिया जाता। महादलित बस्ती में भी सड़क की सुविधा नहीं दी गई है जिससे लोग पगडंडी के सहारे घर जाने को मजबूर हैं। पंचायत की कई सड़कें अतिक्रमण की गिरफ्त में हैं। उप स्वास्थय केंद्र में कर्मियों के अभाव में लोगों को सात किमी की दूरी तय कर बोचहां पीएचसी जाना पड़ता है। पंचायत के लोगों के लिए न तो पंचायत भवन है और न ही सामुदायिक भवन। खाद्य सुरक्षा और वृद्धापेंशन सुधार के लिए शिविर का आयोजन नहीं होने से समस्या बढ़ती जा रही है। पीएम आवास योजना में आवास सहायक के सही कार्य नहीं करने से गरीबों का आवास समय पर नहीं मिल पा रहा है। आवेदन के बाद भी गरीबों को राशन कार्ड मुहैया नहीं कराया जा सका। वर्ष 2011 से महादलितों को आवास का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

-- चौपाल में हुए शामिल : रामाकांत पासवान, जग्रनाथ मंडल, दिलीप राम, स्वीट बैठा, हरिहर कुमार पासवान, नत्थू मंडल, राहुल कुमार, सत्यम कुमार, सुनील पासवान, मिथुन कुमार, प्रमोद कुमार, शुभम कुमार, गौतम कुमार, राजगीर पासवान, धीरज कुमार, छोटू पासवान, चिंटू कुमार, किशन कुमार, रामाशकर मिश्रा, रामरेखा मिश्रा, मोहन पासवान, विजय कुमार झा, विवेक कुमार, वाल्मीकि संत सिरोही, रंजीत सिंह, मुक्तिनाथ राही, सोनू कुमार। पंचायत एक नजर

जनसंख्या लगभग 21785

मतदाता 7260

प्राथमिक विद्यालय 7

मध्य विद्यालय 4

उच्च विद्यालय निर्माणाधीन

आंगनबाड़ी केंद्र 11

जन वितरण दुकान 5

कच्ची सड़क 17

पक्की सड़क 4

ईंट सोलिग 6

पोस्ट ऑफिस 1

उपस्वास्थ्य केंद्र 1

ब्रहमस्थान 9

देवी स्थान 14

मुखिया का वर्जन

कार्य एजेंसी की उदासीनता से शुद्ध पेयजल लोगों को नसीब नहीं हो पा रहा है। पंचायत भवन की कमी है। पीसीसी सड़क निर्माण और ईट सोलिग कराई गई है। घर-घर शौचालय बनवाया गया है।ं पीएम आवास को पूरा कराया जा रहा है। महादलित लोगों को आवास का लाभ नहीं मिल रहा है। पंचायत को प्राप्त राशि से विकास कार्यो को संपादित किया जाता है। दर्जन भर से अधिक नई सडकों के निर्माण की योजना ग्रामसभा से पास की गई। सासद से लेकर विधायक तक के सहयोग से विकास का प्रयास जारी है।

रामाकांत पासवान, मुखिया।

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