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जानें कैसे पर्यावरण असंतुलन के कारण दिन-ब-दिन बढ़ रहा प्राकृतिक आपदाओं का कहर Muzaffarpur News

BRA Bihar University के भूगोल विभाग में इनवायरोमेंटल बैलेंस फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर सेमिनार का आयोजन।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 08:43 AM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 08:43 AM (IST)
जानें कैसे पर्यावरण असंतुलन के कारण दिन-ब-दिन बढ़ रहा प्राकृतिक आपदाओं का कहर Muzaffarpur News
जानें कैसे पर्यावरण असंतुलन के कारण दिन-ब-दिन बढ़ रहा प्राकृतिक आपदाओं का कहर Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। जब कोई भी चीज असंतुलित होता है, चाहे परिवार, समाज, आर्थिक या सांस्कृतिक असंतुलन हो तो इसका दुष्प्रभाव देखने को मिलता है। यह मानव के लिए काफी खतरनाक होता है। प्रकृति में असंतुलन के कारण प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेलना पड़ रहा है। इसके कारण भूकंप, ज्वालामुखी, सुनामी भू-स्खलन, मृदा अप्रदन, चक्रवात, हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएं मानव को चेतावनी दे रहीं हैं कि अब अगर नहीं संभले तो भविष्य में यह धरती मानव के रहने लायक नहीं बचेगी। ये बातें बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में इनवायरोमेंटल बैलेंस फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य अतिथि जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के पूर्व भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ.गणेश कुमार पाठक ने कहीं।

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मानव विनाश की ओर

कहा कि पर्यावरण का असंतुलन एक वैश्विक समस्या के रूप में उभरी है। संसाधनों के अधिक इस्तेमाल से आने वाली पीढ़ी को इसका मूल्य चुकाना होगा। प्रदूषण और आपदाएं दोनों असंतुलन के कारण मानव को विनाश की ओर ले जा रही है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ.टुनटुन झा अचल ने कहा कि मानव ने प्रकृतिवादी वस्तुओं और संसाधनों को उपभोगवादी बना दिया। प्रकृति से इसी छेड़छाड़ के कारण प्राकृतिक आपदाएं आ रहीं हैं।

प्रकृति को चुनौती

कहा कि मानव लैब में वस्तुओं का निर्माण कर प्रकृति को चुनौती दे रहा है। शोध और आविष्कार अच्छा है पर हर जगह प्रकृति को चुनौती देना भी विनाश का कारण बन जाता है। डॉ.जफर इमाम ने कहा कि पर्यावरण और मानव के बीच सामंजस्य से ही संतुलन संभव है।

पर्यावरण का संतुलन जरूरी

सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आरके मंडल ने कहा कि मानव का विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर की उच्चता से ही तय होता है। साथ ही पर्यावरण का संतुलन इस विकास के लिए जरूरी होता है। डीएसडब्ल्यू डॉ.अभय कुमार ने कहा कि पेड़ पौधों को प्रकृति से इसी लिए जोड़ा गया ताकि लोग उसे नष्ट नहीं करें। इससे पूर्व कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया। संचालन एमडीडीएम कॉलेज की भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ.ममता राय ने किया। मौके पर संयोजक डॉ.उमाशंकर सिंह समेत विभिन्न कॉलेज के प्राध्यापक और शोधार्थी मौजूद थे।  


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