किसानों के लिए वरदान होगी लखनदेई, सीतामढ़ी को बाढ़ से मिलेगी मुक्ति
सिल्ट के कारण नदी हो गई थी मृतप्राय लोगों की पहल व शासन प्रशासन के सहयोग से बदला स्वरूप। 18.27 किमी लंबी धारा की सफाई के साथ बनाया जा रहा तीन किमी लंबा लिंक चैनल। इससे लखनदेई की पुरानी धारा को नई धारा में मिलाया जाएगा।
सीतामढ़ी, [मुकेश कुमार 'अमन']। नेपाल से निकलकर भारत में बहनेवाली लखनदेई नदी को नया जीवन मिल गया है। लिंक चैनल का थोड़ा बचा काम जल्द ही पूरा हो जाएगा। इसके बाद यह अविरल बहने लगेगी। इससे सीतामढ़ी शहर समेत जिले के पांच प्रखंडों को पर्याप्त पानी उपलब्ध हो पाएगा। बांध और चैनल से बाढ़ पर भी नियंत्रण हो सकेगा। नेपाल से निकलकर लखनदेई सोनबरसा प्रखंड के छोटी भरसार के बाद रून्नीसैदपुर प्रखंड होते हुए मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड के मोहनपुर में बागमती में मिल जाती है। सीतामढ़ी में करीब 35 किमी इसका बहाव है। सिल्ट और लोगों द्वारा कूड़ा डालने के कारण लखनदेई की पुरानी धारा मृतप्राय हो गई थी। इसे पुनर्जीवित करने की कोशिश बीते 50 साल से हो रही थी। लोग जब-तब आवाज उठाते रहते थे। शासन-प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो लोगों ने वर्ष 2014 में लखनदेई बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया। ग्रामीणों के साथ समिति के लोग नदी की सफाई के लिए आगे आए। इसके बाद अधिकारियों व नेताओं ने ध्यान दिया। चार साल बाद 15 फरवरी, 2018 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नदी की सफाई का कार्य शुरू कराया था। अब 18.27 किमी लंबी इस धारा की सफाई हो गई है। तीन किमी लंबा लिंक चैनल बन रहा है। इससे लखनदेई की पुरानी धारा को नई धारा में मिलाया जाएगा।
रकम के अभाव में रुका था लिंक चैनल का निर्माण
सोनबरसा प्रखंड के दुलारपुर से छोटी भासर कन्हौली तक साढ़े तीन किलोमीटर भूमि अधिग्रहण के लिए तीन करोड़ रुपये के अभाव में लिंक चैनल का निर्माण लटका था, जिसे पूरा कर लिया गया है। नेपाल भूभाग से ही नदी के तल पर सिल्ट जमा था। इस कारण नदी अपनी पूर्व की दिशा बदलते हुए अधवारा समूह की जमुरा नदी में मिल गई थी। इससे बाढ़ आ जाती थी। वहां इस धारा को पुनर्जीवित किया गया।
ऊपर आएगा जलस्तर
लखनदेई बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य रामशरण अग्रवाल और रामशंकर शास्त्री बताते हैं कि इस नदी की धारा मृत होने से सवा दो सौ से ढाई सौ फीट पर भी पीने लायक पानी नहीं मिल पाता था। पहले 80 से 90 फीट पर ही मिल जाता था। लखनदेई में पानी आने से जलस्तर बढ़ेगा। सीतामढ़ी शहर को पेयजल मिलने में आसानी होगी। जिले के पांच प्रखंडों डुमरा, बथनाहा, सोनबरसा, रीगा और रुन्नीसैदपुर के किसानों को खेती के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो पाएगा। बांध और चैनल से बाढ़ पर भी नियंत्रण हो सकेगा। डीएम मनेश कुमार मीणा ने कहा कि नदी के पुनर्जीवन से सभ्यता व संस्कृति का विकास हुआ है। सिंचाई व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। आम लोगों के सहयोग और शासन-प्रशासन की तत्परता रंग लाई।