बच्चों की जांच को सदर अस्पताल में खुलेगी पोषण जांच लैब
गर्मी की धमक के साथ बच्चों में होने वाली बीमारी एईएस से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग हर स्तर पर तैयारी में जुटा है। इस बीच सदर अस्पताल परिसर में आशा व एएनएम को एईएस व कोरोना को लेकर प्रशिक्षण दिया गया।
मुजफ्फरपुर। गर्मी की धमक के साथ बच्चों में होने वाली बीमारी एईएस से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग हर स्तर पर तैयारी में जुटा है। इस बीच सदर अस्पताल परिसर में आशा व एएनएम को एईएस व कोरोना को लेकर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षक मो.यूनूस ने बताया कि बीमारी के लक्षण होने के बाद तुरंत वरीय अधिकारी को सूचित करें तथा उसको इलाज शुरू हो।
अधिकतर बच्चे थे कुपोषित, चल रहा सर्वे : सदर अस्पताल परिसर में कुपोषण से जांच के लिए लैब खोली जाएगी। सिविल सर्जन डा.एसपी सिंह ने बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन (एनआइएन) हैदराबाद टीम जिले में एईएस प्रभावित प्रखंड में सर्वे कर रही है। पिछले बार एक बात सामने आई कि एईएस की जद में आने वाले अधिकांश बच्चे कुपोषित थे। इसलिए इस पर सर्वे चल रहा है।
पीएचसी में 34 तरह की दवाएं भेजीं : राज्य स्तर पर एईएस के इलाज के लिए बने ट्रिटमेंट प्रोटोकॉल के हिसाब से इलाज में काम आने वाली 50 प्रकार की दवाएं चिह्नित हैं। इनमें 34 प्रकार की दवाएं सरकारी एजेंसी बीएमएसआईसीएल ने उपलब्ध कराई हैं। सेन्ट्रल गोदाम के प्रबंधक शशि कुमार ने बताया कि सभी पीएचसी में 34 तरह की दवा की आपूर्ति कर दी गई है। एक सप्ताह में 16 तरह की दवाओं की आपूर्ति कर दी जाएगी। फरवरी के अंत तक तमाम दवा व अन्य जरूरी समान उपलब्ध करा दिया जाएगा।
एईएस वार्ड में रहेंगी ये दवाएं : मल्टीपल इलेक्ट्रोलाइट डेक्स्ट्रोज इंजेक्शन, फेनाइशन सोडियम, विटामिन के वन, सोडियम क्लोराइड, नॉर्मल स्लाइन, डायजेपाम सपोजिट्री, वाटर फॉर इंजेक्शन, विटामिन बी 12, विटामिन बी सिक्स, पोटाशियम क्लोराइड, सोडियम बायकार्बोनेट, लोराजेपाम, फेनोब्रेबिटोन सिरप व डोपामाइन दवाएं प्रमुख हैं।
लक्षण के हिसाब से इलाज : अब तक एईएस के कारण का पता नहीं चलने से इस साल भी लक्षण देखकर इलाज किया जाएगा। जैसे बुखार, चमकी या अन्य कोई बीमारी के लक्षण होगा तो उसका इलाज किया जाएगा। मरीज को पहले कौन सी दवा देनी है इसकी सूची सभी पीएचसी को जारी कर दी गई है।