सूबे की सभी पंचायतों में खुलेंगे किसान कार्यालय, जानिए यहां क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी
बोले कृषि मंत्री 23 कृषि बाजार समितियों का होगा जीर्णोद्धार। सूबे में प्रतिदिन 22 लाख टन हो रहा दूध का उत्पादन। प्रोसेसिंग के बाद नेपाल यूपी व झारखंड में भेजे जा रहे।
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। सूबे के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य की सभी पंचायतों में किसानों की सुविधा के लिए कृषि कार्यालय खोले जाएंगे। अब तक 1465 पंचायतों में किसान कार्यालय खोले गए हैं। सितंबर 2020 तक सभी पंचायतों में किसान कार्यालय खोल दिए जाएंगे। जिन पंचायतों में पंचायत भवन नहीं है, वहां भाड़े पर किसान कार्यालय खोले जाएंगे। ऐसा किसानों की सुविधाओं को देखते हुए किया गया है। इन कार्यालयों में किसान सलाहकार मौजूद रहेंगे। जो किसानों को नवीन तकनीकी की जानकारी देंगे। मंत्री शुक्रवार को बेतिया और पूर्वी चंपारण के दौरे पर थे।
बेतिया में कहा कि राज्य के किसानों को कृषि उत्पादों की बिक्री की समस्या थी, इसे देखते हुए प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन पर सूबे के 54 बाजार समितियों में पहले चरण में 23 बाजार समिति का 200 करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इसमें बेतिया का बाजार समिति भी शामिल है। दूसरे चरण में शेष बाजार समिति को शामिल करते हुए तीसरे चरण में सभी बाजार समितियों को बाजार एप से जोड़ दिया जाएगा। सभी बाजार समितियों में डिस्प्ले बोर्ड पर देश के सभी बाजारों में मौजूद फल, सब्जियों के मूल्य दर्शाएं जाएंगे। इससे कृषि उत्पादों की बिक्री में आसानी होगी। मंत्री ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय दो गुणा करने के लिए समेकित कृषि पर बल दिया जा रहा है। किसानों को ड्रिप एवं स्प्रिंक्लर सिंचाई की सुविधा को बढ़ावा देने के लिए 90 फीसद अनुदान की व्यवस्था की गई है। इससे एक ओर जहां कृषि लागत में कमी आएगी, तो दूसरी ओर किसानों का लाभ भी बढ़ेगा।
सूबे में समेकित खेती का यह परिणाम हुआ है कि रोज 22 लाख टन दूध का उत्पादन हो रहा है। आज स्थिति ऐसी बनी है कि यहां से दूध नेपाल, झारखंड, बंगाल एवं उत्तर प्रदेश में भेजे जा रहे हैं। इसका उत्पादन 40 लाख टन प्रतिदिन करना है। इसके लिए नेशनल को ऑपरेटिव डेवलपमेंट कारपोरेशन से 550 करोड़ का ऋण लिया गया है। इससे सूबे में 10 मेगा मिल्क प्रोसेङ्क्षसग प्लांट लगाए जाएंगे। मंत्री ने कहा कि आज सूबे में नीली क्रांति के क्षेत्र में अप्रत्याशित रूप से विकास हुआ है। अब यहां मछलियां मंगाने की जगह दूसरे राज्यों में भेजी जा रही हैं।
उधर, पूर्वी चंपारण के पीपराकोठी में मंत्री ने कहा कि किसानों के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए राज्य के छह जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र (केविके) खोले जाएंगे। इसके तहत बेतिया, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, समस्तीपुर व गया में केविके खोले जाने का प्रस्ताव है। वैज्ञानिकों को किसानों से समन्वय बनाकर काम करने की अपील की। कहा कि किसानों की समस्या का निदान तत्क्षण हो, इस पर सरकार काम कर रही है। इसको लेकर विभाग एक एप विकसित कर रहा है, जिसके माध्यम से किसान कई राज्यों में अपने उत्पादों की कीमत पता लगा सकते हैं।
प्रत्येक जिले में कोल्ड स्टोरेज का निर्माण करने की व्यवस्था है। नीलगाय से फसलों के बचाव के लिए विभाग विशेष प्रबंध कर रहा है। बिहार के 95 प्रतिशत छोटे व सीमांत किसानों के लिए 8405 पंचायतों में कृषक समूह का गठन किया जाएगा। महिलाओं के लिए खाद्य सुरक्षा समूह का निर्माण किया जाएगा। बिहार को पांच कृषि कर्मण पुरस्कार से नवाजा गया है।