कागजी साबित हुई प्रमंडल में आयोजित किसान चौपाल, किसान अब भी जानकारी से वंचित Muzaffarpur News
जून में चौपालों के आयोजन पर उठे सवाल 30 लाख के खर्च की मांगी गई जानकारी।
मुजफ्फरपुर,जेएनएन। प्रमंडल में आयोजित किसान चौपाल सिर्फ कागजी साबित हुईं। सरकार के दिशा निर्देशों का पालन नहीं हुआ। नतीजा आम किसानों को न योजनाओं की जानकारी हुई और न ही वे इसका लाभ उठा सके। इस संबंध में कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक सुरेंद्रनाथ के पिछले माह बैठक में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) के जिलों के पदाधिकारियों से रिपोर्ट मांगे जाने पर खलबली मच गई। लेकिन, अब तक किसी जिले से रिपोर्ट नहीं आई है।
सरकार का उद्देश्य किसान चौपालों के आयोजन को लेकर यह था कि खरीफ फसल की योजनाओं से किसान वाकिफ हो सकें। उन्हें पंचायत में ही किसान सलाहकारों एवं समन्वयकों से सभी आवश्यक जानकारी मिल सके। ताकि, खरीफ फसल में बीज, खाद डीजल अनुदान आदि के लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर सके।
नहीं हो पाया प्रचार-प्रसार
आत्मा द्वारा जून में जिले के सभी 16 जिलों में किसान चौपाल का आयोजन किया। प्रमंडल के अन्य जिलों में भी कैलेंडर जारी कर ताबड़तोड़ चौपालों का आयोजन किया गया। लेकिन, पंचायतों में हुए चौपालों में किसान समन्वयक व सलाहकार किसानों को नहीं जुटा सके। विभाग की मंशा किसी तरह चौपाल आयोजन कर कागज पर रिपोर्ट तैयार कर सके। किसान चौपाल के आयोजनों का व्यापक प्रचार प्रसार भी नहीं हुआ।
किसानों ने कहा-किसी ने नहीं दी सूचना
मुरौल प्रखंड के विशुनपुर गांव के रंजन सिंह ने कहा कि जून में जब चौपाल हुआ, तब उनको न तो समन्वयक और न सलाहकार ने सूचित किया। किसान रामबाबू राय का कहना है कि अगर उनको जानकारी होती तो धान की फसल को लेकर कुछ जानकारी मिलती।
मौसम पर थोपी जिम्मेदारी
आत्मा के निदेशक मो. इस्माइल का कहना है कि जून में लू चलने के कारण चौपालों में किसानों की भीड़ नहीं उमड़ सकी। स्थिति खराब होने पर प्रशासन के निर्देश पर चौपाल के आयोजन को बंद करना पड़ा, जो बाद में आयोजित हुआ।
गलत मौसम में हुई चौपाल
किसान नेता वीरेंद्र राय का कहना है कि जून में चौपाल कराना ही नहीं चाहिए। चौपाल का आयोजन अप्रैल में होना चाहिए। कागजी रिपोर्ट बनाने के लिए इन आयोजनों में तकनीकी पदाधिकारी भी नहीं पहुंचे।
इस बारे में तिरहुत प्रमंडल,मुजफ्फरपुर संयुक्त निदेशक डॉ. सुरेंद्रनाथ ने कहा कि किसान चौपालों की नाकामी की शिकायतें मिली हैं। इस बाबत मांगी गई रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है। इस मामले में रिमाइंडर सभी जिलों को भेजा जाएगा। बजट के खर्च का भी लेखा जोखा मांगा जाएगा