मुजफ्फरपुर: ग्रामीण डाक सेवक पद के लिए फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाला सरगना गिरफ्तार
पूछताछ के बाद मास्टर माइंड संतोष को पकड़ा गया। इन सभी के पास से जब्त किए गए मोबाइल से काफी साक्ष्य मिले हैं जिसमें प्रमाण पत्र लेन-देन के साथ राशि लेने का ब्योरा मिला है। सभी के मोबाइल जब्त कर लिए गए हैं।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। ग्रामीण डाक सेवक पद पर बहाली के लिए जाली प्रमाणपत्र बनाने वाले सरगना को नगर थाने की पुलिस ने छपरा से गिरफ्तार किया है।
पूछताछ में उसकी पहचान छपरा जिले के गोविंदपुर के संतोष सिंह के रूप में हुई है। पूछताछ में पता चला कि उसके साथ और कई लोग इसमें शामिल हैं।
इन सभी के द्वारा दो लाख से अधिक राशि लेकर प्रमाण पत्र बनाए गए थे। इसके पूर्व मंगलवार को जाली प्रमाणपत्र पर बहाल होने आए 11 अभ्यर्थियों को डाक विभाग के अधिकारियों की सूचना पर नगर पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
पूछताछ के बाद मास्टर माइंड संतोष को पकड़ा गया। इन सभी के पास से जब्त किए गए मोबाइल से काफी साक्ष्य मिले हैं, जिसमें प्रमाण पत्र लेन-देन के साथ राशि लेने का ब्योरा मिला है।
सभी के मोबाइल जब्त कर लिए गए हैं। इसके साथ ही सरगना संतोष के बैंक एकाउंट को भी खंगाला जा रहा है। नगर थानाध्यक्ष श्रीराम सिंह ने कहा कि साक्ष्य मिले हैं।
सभी को न्यायिक हिरासत में भेजा जा रहा है। बाद में रिमांड पर लेकर नकेल कसने की कवायद की जाएगी। मामला प्रकाश में आने के बाद रेल डाक निरीक्षक राजेश कुमार ने नगर थाने में प्राथमिकी कराई थी।
इसमें बक्सर अमीरपुर के मुकेश कुमार, सिवान कुडोर के विवेक कुमार तिवारी, सारण (छपरा) हरिपुर के जितेश कुमार, मायाटोला के संदेश कुमार, इनामीपुर के राकेश कुमार पांडेय, जलालपुर के धनोज कुमार ठाकुर, बनियापुर के अमन कुमार, गौंदरी के विवेक कुमार, गोपालगंज रामपुरकलां के दिलीप कुमार यादव, गोपालगंज शेर के राजन कुमार और पटना मोदनगाछी के बादमार को आरोपित किया गया है।
गिरफ्तार से पूछताछ के बाद संतोष को मंगलवार की देर रात नगर थाने की पुलिस ने छपरा में पकड़ा गया।
विभागीय जांच में पता चला कि इन अभ्यर्थियों ने 98 से 99 अंक वाले जाली प्रमाणपत्र तैयार कराए थे। इसके आधार पर उनका नाम चयन सूची में आया था।
संदेह होने पर सत्यापन में सभी पकड़े गए। मालूम हो कि सभी अभ्यर्थियों ने 27 जनवरी को ग्रामीण डाक सेवक (जीडी) पद की बहाली का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद आनलाइन आवेदन किया था।
अधिक अंक वाले अभ्यर्थियों की चयन सूची 19 फरवरी को जारी की गई थी। प्रमाणपत्र सत्यापन के लिए इन लोगों ने मुजफ्फरपुर प्रधान डाकघर का विकल्प दिया था। प्रधान डाकघर के रेल डाक कार्यालय में फर्जी प्रमाणपत्र सामने आने पर सभी को गिरफ्तार किया गया।