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कतार में खड़े रहे मरीज, ओपीडी से चलते बने चिकित्सक

एसकेएमसीएच में दोपहर तीन बजे तक लगी रही मरीजों की लंबी लाइन। मेडिसीन ओपीडी में 469 एवं शिशु विभाग में 200 मरीजों का हुआ इलाज।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 10:21 PM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 10:21 PM (IST)
कतार में खड़े रहे मरीज, ओपीडी से चलते बने चिकित्सक

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। एसकेएमसीएच के विभिन्न रोग विभागों के ओपीडी में मंगलवार को मरीजों की भारी भीड़ उमड़ी। अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही की पहल पर रजिस्ट्रेशन काउंटर एवं ओपीडी में सेवा शुरू हुई। लेकिन जूनियर चिकित्सकों के अभाव में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। इमरजेंसी की सेवा सामान्य रूप से जारी थी। जूनियर चिकित्सकों की हड़ताल के बीच कोई अन्य वैकल्पिक व्यवस्था नहीं किए जाने से ओपीडी में अकेले मरीजों के उपचार में लगे वरीय चिकित्सक परेशान बने रहे।

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 ओपीडी में चिकित्सकों ने दोपहर तीन बजे तक मरीजों को देखा। इसके बावजूद दर्जनों मरीज निराश होकर लौटे। कई मरीज हेल्थ मैनेजर राजीव रंजन के समक्ष अपनी शिकायत लेकर पहुंचे। इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सकों ने इन मरीजों को अलग से समय देकर जरूरी परामर्श और दवाएं दीं। मौसम के बदले मिजाज से मरीजों में काफी इजाफा हुआ है।

 मंगलवार को एसकेएमसीएच में नए और पुराने मिलाकर करीब 3500 मरीज इलाज को पहुंचे थे। इसके कारण सभी विभागों की ओपीडी में मारामारी की स्थिति थी। पहले हम तो पहले हम को लेकर मरीज आपस में लड़ते-भिड़ते रहे। सुरक्षा गार्ड इन मरीजों को शांत कराने में जुटे रहे। मरीजों की अत्यधिक भीड़ से ओपीडी में तैनात चिकित्सक परेशान बने रहे। दोपहर तीन बजे तक भी मरीजों की कतार कम नहीं होने पर थकहार कर मेडिसीन एवं शिशु विभाग के ओपीडी में तैनात चिकित्सक बाहर निकल गए। मेडिसीन के ओपीडी में अकेले चिकित्सक ने 469 मरीजों एवं शिशु विभाग के चिकित्सक ने 200 शिशुओं का इलाज किया।

कहा-मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन

एसकेएमसीएच में दूसरे दिन मंगलवार को भी जूनियर चिकित्सक हड़ताल पर जमे रहे। कार्य बहिष्कार के साथ अपनी मांगों के समर्थन में हंगामा व प्रदर्शन के साथ सरकार विरोधी नारेबाजी होती रही। हड़ताली चिकित्सकों ने कहा कि जब तक मांगे पूरी नहीं होंगी आंदोलन जारी रहेगा। जूनियर चिकित्सकों की मुख्य मांग एम्स पटना से एमबीबीएस उत्तीर्ण छात्रों को राज्य के मेडिकल कॉलेजों की पीजी सीटों के कोटे की 50 फीसद में शामिल नहीं करने की है।

 सीनियर रेजीडेंट की योग्यता की अधिकतम उम्र 37 वर्ष से बढ़ाकर 45 वर्ष करने की मांग है। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) की तर्ज पर पीजी छात्रों का स्टाइपेंड 70, 80 एवं 90 हजार रुपये एवं आइजीआइएमएस की तर्ज पर यूजी इंटर्न का स्टाइपेंड 15 हजार से बढ़ाकर 24 हजार रुपये करने की है।


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