खुदा की रहमत से पूरी हुई घर वापसी की हसरत
कायनात के कहर से महानगरों की वीरानगी इस कदर छा गई कि घर वापसी की आस भी दफन हो गई थी।
मुजफ्फरपुर : कायनात के कहर से महानगरों की वीरानगी इस कदर छा गई कि घर वापसी की आस भी दफन हो गई थी। यह तो खुदा की रहमत थी कि घर वापसी की हसरत पूरी हुई। अहमदाबाद से विशेष ट्रेन से पहुंचे गया के शमशाद ने ट्रेन से उतरते ही कुछ इसी तरह घर वापसी की खुशी और लॉकडाउन की पीड़ा बयां की। कहा कि अहमदाबाद की फैक्ट्रियों में खून-पसीना की कमाई से बचाई गई एक-एक पाई भी जब खत्म हो गई तो घर वापसी की आस भी दफन हो गई। घर वालों को कॉल कर भी कह दिया था कि वे उनके जिंदा लौटने की उम्मीद छोड़ दें। हालांकि, देर से ही सही, सरकार ने प्रवासियों की घर वापसी की व्यवस्था की। हालांकि, ट्रेनों के भीतर की व्यवस्था और मंद रफ्तार पर नाराजगी व्यक्त की। उसकी तरह ही हजारों प्रवासी सोमवार को अलग-अलग विशेष ट्रेन से मुजफ्फरपुर पहुंचे। दिल्ली के अल्युमीनियम कंपनी में काम करने वाले मुजफ्फरपुर के नरौली निवासी उपेंद्र कुमार, संजय कुमार व सरिता कुमारी ने बताया कि पूरा परिवार पुरानी दिल्ली के एक बस्ती में रहता था। मेहनत-मजदूरी के बल पर बस्ती में अपना हंसता-खेलता बागवान सजाया था। जिसे खुद के हाथ उजाड़ घर लौटे हैं। कहा कि केवल शरीर लेकर लौटे हैं। पश्चिमी चंपारण जिले के चनपटिया की आयशा खातून, जूली, शफीउल्लाह, ओबैर व माशा अल्लाह ने बताया लॉकडाउन और सफर की राह दोनों मुश्किल से भरे रहे। फिर भी ईद पर घर वापसी से खुशी हुई है। सीतामढ़ी जिले के रीगा के बुलाकीपुर निवासी मनोज, संजीव, अशोक समेत डेढ़ दर्जन युवक मुंबई से मुजफ्फरपुर लौटे। कई दिनों तक खाना नसीब नहीं हो सका। घर से पैदल ही निकल गए। रास्ते में कुछ लोगों ने बिस्किट-पानी दी। इसके बाद जंक्शन पहुंच ट्रेन पकड़ी। ट्रेन में खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी। 30 घंटे का सफर 44 घंटे में पूरा हुआ। यात्रियों की भीड़ से जंक्शन पर मेले सा नजारा था। बावजूद इसके ट्रेन से लेकर प्लेटफॉर्म और स्टेशन परिसर तक हर चेहरा अकेला था। वजह, सबके अपने-अपने दर्द थे। ऐसे में कोई किसी का दर्द भला कैसे बांट सकता था?
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किसी का इंतजार हुआ खत्म, तो किसी को अब भी है इंतजार
अहमदाबाद, सूरज, पंजाब, दिल्ली और मुंबई समेत अलग-अलग इलाकों से विशेष ट्रेन से मुजफ्फरपुर पहुंचे। मुजफ्फरपुर जंक्शन से ट्रेन और बस के जरिये प्रवासी अपने-अपने जिले के लिए रवाना हुए। लेकिन, रवानगी के पूर्व बस के लिए प्रवासियों को भारी जहमत उठानी पड़ी। प्रवासियों की भीड़, बसों पर भारी पड़ गई। लोगों में इस कदर घर जाने की बेचैनी थी, कि लोग खिड़की के जरिये बस में प्रवेश कर रहे थे। जबकि, बस में चढ़ने के लिए धक्कामुक्की कर रहे थे। कुछ बस में खड़े होकर तो कुछ बस की छत पर सवार होकर रवाना हुए। जबकि, सैकड़ों प्रवासी बस और ट्रेन का इंतजार करते रह गए।