जलमार्ग से भी कर सकेंगे पटना व वाराणसी की यात्रा, जगह-जगह बनाए जाएंगे रिवर पोर्ट
गंगा-गंडक परियोजना के तहत नदी में स्टीमर के साथ मालवाहक जहाज चलाने की योजना निर्माण जल्द होगा शुरू। जगह- जगह रिवर पोर्ट तथा बोटिंग टर्मिनल बनेगा।
मोतिहारी, जेएनएन। अगर आप जलमार्ग से पटना, वाराणसी और हल्दिया तक की यात्रा करना चाहते हैं तो यह सपना अगले साल तक साकार होगा। इस पर कार्य शुरू हो गया है। गंगा-गंडक परियोजना के तहत नदी में स्टीमर के साथ मालवाहक जहाज चलाने की योजना है। 2020 तक वाराणसी- हल्दिया को जलमार्ग से जोडऩे की योजना है।
गंगा-गंडक परियोजना के तहत वाल्मीकिनगर गंडक बराज से पटना तक जलमार्ग से यात्रा होगी। इसे वर्ष 2016 में राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 37 का दर्जा मिला था। वाल्मीकिनगर-पटनाजलमार्ग की कुल लंबाई 240 किलोमीटर होगी। परियोजना के तहत गंडक नदी की गहराई 1.2 मीटर और चौड़ाई 22 मीटर निर्धारित की गई है। इस जलमार्ग पर 11.6 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाले मालवाहक जहाजों का परिचालन होगा।
रिवर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए जगह-जगह रिवर पोर्ट बनाए जाएंगे। इस जलमार्ग पर वैशाली, कल्याणपुर, बेतिया और बगहा में रिवर पोर्ट बनाने की योजना है। बगहा के कैलाशनगर और डुमरियाघाट में बोटिंग टर्मिनल बनेगा। वैशाली और बेतिया में रो-रो सर्विस विकसित किया जाएगा। इस सेवा में मालवाहक जहाज में 10 से 15 बड़े वाहनों को लादकर ले जाया जाएगा। इससे ईंधन की बचत होगी। जलमार्ग से रासायनिक पदार्थ, खाद्य सामग्री, कृषि उत्पाद, खनिज आदि का परिवहन होगा।
रोजगार के बढ़ेंगे अवसर
जलमार्ग के विकास से आम लोगों को आर्थिक लाभ मिलने के साथ क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटकों को आने-जाने में सुविधा होगी। उद्योगों का विकास होगा।
इसके अलावा सड़क मार्ग के रूप में रामजानकी पथ का निर्माण हो रहा है। इससे केसरिया होते हुए अयोध्या से सीता जन्मभूमि को जोड़ा जाएगा। सड़क और जलमार्ग आने वाले समय में पर्यटकों के लिए काफी लाभकारी होगा।
केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की यह पहल ऐतिहासिक है। जलमार्ग के विकास से जिले के लोग लाभान्वित होंगे। डुमरियाघाट में सुविधाओं को बेहतर करने के लिए केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया गया है। सरकार ने 2019 तक इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।