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Bihar, Darbhanga Election: मिथिला में आसान नहीं जातीय किलेबंदी को भेदना, प्रत्याशी तय करने में इन बातों का रखा जा रहा ख्याल

Bihar Darbhanga Assembly Election 2020 विधानसभा चुनाव में विकास के मुद्दों के साथ ही राजनीतिक दलों ने जातीय किलेबंदी भेदने की पूरी कोशिश की है। उम्मीदवार तय करने में जातीय समीकरण का रखा जा रहा ख्याल। जनता के मन मुताबिक प्रत्याशी देने के लिए हुई जोड़-तोड़ की राजनीति।

By Murari KumarEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 03:02 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 03:02 PM (IST)
Bihar, Darbhanga Election: मिथिला में आसान नहीं जातीय किलेबंदी को भेदना, प्रत्याशी तय करने में इन बातों का रखा जा रहा ख्याल
दरभंगा में उम्मीदवार तय करने में जातीय समीकरण का रखा जा रहा ख्याल

दरभंगा [संजय कुमार उपाध्याय]। विधानसभा चुनाव में विकास के मुद्दों के साथ ही राजनीतिक दलों ने जातीय किलेबंदी भेदने की पूरी कोशिश की है। लेकिन, टिकट बंटवारे से सुलगी उपेक्षा की चिंगारी बहुत कुछ बयां कर रही है। ऐसे में अंत-अंत तक एनडीए और महागठबंधन ने टिकट बंटवारे के बाद उभरे जातीय असंतोष को मंद करने की कोशिश की है। दरभंगा प्रमंडल के अधीन मिथिला की 30 सीटों पर कमोबेश विभिन्न दलों के शीर्ष नेतृत्व ने मतदाताओं के मन के मुताबिक प्रत्याशी देने की कोशिश की है। इसके लिए जोड़-तोड़ की राजनीति खूब हुई है। कई लोगों के दल बदल गए तो कई के क्षेत्र। कई बेटिकट भी हुए हैं। 

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कई सीटों पर बदले चेहरे

दरभंगा शहर सीट से चार बार लगातार विधायक रहे भाजपा प्रत्याशी संजय सरावगी के मुकाबले महागठबंधन ने हायाघाट से जदयू विधायक रहे अमरनाथ गामी को राजद के टिकट पर मैदान में उतारा है। गौड़ाबौराम में वीआइपी के टिकट पर पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी के भाई के चुनाव लडऩे की चर्चा के बीच राजद ने मुखिया संघ के प्रखंड अध्यक्ष अफजल अली खान को मैदान में उतार दिया है। इसी तरह बहादुरपुर से जदयू के टिकट पर सूबे खाद्य एवं आपूॢत मंत्री मदन सहनी मैदान में हैं। उनसे मुकाबले के लिए राजद ने लोजपा छोड़कर उसके पाले में आए आरके चौधरी को मैदान में उतारा है।

 इन सबके बीच अलीनगर के राजद विधायक पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी को केवटी भेज दिया गया है, जबकि राजद के कद्दावर नेता बहादुरपुर के विधायक भोला यादव हायाघाट चले गए हैं। केवटी से राजद विधायक डॉ. फराज फातमी ने पार्टी छोड़ दी है। जदयू ज्वाइन करने के बाद वे दरभंगा ग्रामीण से चुनाव लड़ेंगे। मतलब साफ है, राजद ने जातीय समीकरण व प्रतिद्वंद्वियों को केंद्र में रखकर सीटों की अदला-बदली की है। वीआइपी ने अलीनगर में भी जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर मिश्रीलाल यादव को टिकट दिया है। जाले, कुशेश्वरस्थान व बेनीपुर में भी कई बदलाव के संकेत हैं।

प्रत्याशियों में तलाशे जा रहे जातीय फैक्टर

मधुबनी में राजद विधायक समीर महासेठ के मुकाबले वीआइपी ने सुमन महासेठ को उतारा है। इससे नाराज यहां के एक भाजपा नेता ने निर्दलीय चुनाव लडऩे की घोषणा की है। बेनीपट्टी में भाजपा के प्रत्याशी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री विनोद नारायण झा के सामने कांग्रेस की भावना झा हैं। झंझारपुर में भाजपा के पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र के सामने भाकपा के रामनारायण यादव हैं, जबकि यहां से राजद विधायक गुलाब यादव बेटिकट हो गए हैं। हरलाखी से जदयू के विधायक सुधांशु शेखर के मुकाबले भाकपा के रामनरेश पांडेय को उतारा गया है। फुलपरास में जदयू की शीला मंडल और कांग्रेस के कृपानाथ पाठक के बीच होनेवाली जंग को निर्दलीय प्रत्याशी व वर्तमान विधायक गुलजार देवी ने दिलचस्प बना दिया है।

 लौकहां में जदयू के मंत्री लक्ष्मेश्वर राय, बाबूबरही में जदयू की मीना कामत, राजनगर में भाजपा के रामप्रीत पासवान के खिलाफ भी महागठबंधन से मजबूत प्रत्याशी देने की तैयारी है। बिस्फी में भाजपा ने हरिभूषण ठाकुर को टिकट देकर राजद के विधायक फैयाज अहमद को मात देने की तैयारी की है। इस बीच यहां से प्लुरस की पुष्पम प्रिया चौधरी के भी चुनावी मैदान में आने की सूचना ने बेचैनी बढ़ा दी है। समस्तीपुर में टिकट बंटवारे ने सभी दलों की स्थानीय इकाई में असंतोष तो पैदा किया। लेकिन, प्रत्याशियों का चयन इस हिसाब से किया जा रहा कि जातीय किलेबंदी ध्वस्त हो जाए। यहां लोजपा के प्रत्याशी का आना शेष है। 


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