पारू प्रखंड में 14 करोड़ के 'गबन' की होगी जांच, मानवाधिकार आयोग ने 22 अगस्त तक मांगी रिपोर्ट Muzaffarpur News
राज्य मानवाधिकार आयोग ने सभी 47 सहायक रोकड़ बही की जांच कर डीएम से मांगी रिपोर्ट। तत्कालीन बीडीओ की संलिप्तता को स्पष्ट करने को भी कहा 22 तक देनी है जानकारी।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। पारू प्रखंड कार्यालय में 14 करोड़ से अधिक राशि का लेखा-जोखा नहीं मिलने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग अब सख्त हो गया है। आयोग ने प्रखंड की सभी 47 सहायक रोकड़ बही की जांच कराकर रिपोर्ट देने का निर्देश डीएम को दिया है। इसमें तत्कालीन बीडीओ सुनील कुमार सिंह की संलिप्तता को भी स्पष्ट करने को कहा है। आयोग ने 22 अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा है।
मालूम हो कि प्रखंड कार्यालय के नाजिर बालेश्वर प्रसाद ने बिना प्रभार दिए दूसरे कार्यालय में योगदान दे दिया। बाद में प्रखंड कार्यालय की रोकड़ बही व बैंक पंजी में 14 करोड़ 56 लाख रुपये से अधिक का अंतर शेष पाया गया। तत्कालीन बीडीओ सुनील कुमार सिंह पर इस राशि का दबाव पड़ा। इसके बाद उनकी पत्नी ने मानवाधिकार आयोग में गुहार लगाई। इसमें कहा गया कि नाजिर बालेश्वर प्रसाद के भूलने की बीमारी का खमियाजा उसके पति को भुगतनी पड़ रही। आयोग ने मामले में संज्ञान लेते हुए मामले की जांच का आदेश दिया।
जांच में 47 की जगह दी गई महज 18 सहायक रोकड़ बही
आयोग के आदेश पर जिला लेखा पदाधिकारी ने इसकी जांच की। मगर, जांच के दौरान 47 की जगह महज 18 सहायक रोकड़ बही ही उपलब्ध कराई गई। लेखा पदाधिकारी की जांच में यह बात भी सामने आई कि नजारत में महज एक सहायक रोकड़ बही (इंदिरा आवास योजना) को ही आधार मानकार संचालन किया जाने लगा। शेष 46 बही की राशि को शून्य मान लिया गया। संभवत: 14 करोड़ 56 लाख रुपये का अंतर इस कारण से हुआ है।
दो पदाधिकारियों से कराई जाए जांच
आयोग ने निर्देश दिया कि सभी 47 सहायक रोकड़ बही की जांच तत्कालीन नाजिर बालेश्वर प्रसाद की मौजूदगी में दो पदाधिकारियों से कराई जाए। साथ ही यह भी देखा जाए कि प्रखंड में कोई सरकारी राशि का गबन तो नहीं किया गया। अगर किया गया है तो इसमें तत्कालीन बीडीओ सुनील कुमार सिंह की संलिप्तता है या नहीं। इसे भी स्पष्ट किया जाए।
बिना प्रभार दूसरे कार्यालय में कैसे किया गया योगदान
इस मामले में एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि जब नाजिर बालेश्वर प्रसाद ने पारू नजारत का प्रभार नहीं दिया तो दूसरे कार्यालय में योगदान कैसे किया गया। उन्होंने जिला भू-अर्जन कार्यालय में योगदान दिया था। यहीं से उनकी सेवानिवृत्ति भी हो गई। इस प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठ रहे।
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