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वाराणसी में गिरफ्तार रेल मंत्री के फर्जी पीए की पश्‍च‍िम चंपारण में कुंडली खंघाल रही पुलिस

West Champaran news यूपी साइबर सेल ने गिरफ्तारी के बाद शिकारपुर पुलिस से मांगा आरोपित का ब्योरा। वाराणसी में गिरफ्तार किया गया है नरकटियागंज का युवक। पुल‍िस कर रही मामले की जांच पड़ताल। ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर करता था खेल।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 19 Aug 2022 06:04 PM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 06:04 PM (IST)
वाराणसी में गिरफ्तार रेल मंत्री के फर्जी पीए की पश्‍च‍िम चंपारण में कुंडली खंघाल रही पुलिस
वाराणसी में पकड़ा गया ब‍िहार का शात‍िर। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

बेतिया, जासं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का निजी सचिव बताकर ट्रांसफर पोस्टिंग का झांसा देने वाला जालसाज नरकटियागंज का रहने वाला है। उसकी गिरफ्तारी यूपी के वाराणसी में यूपी साइबर क्राइम की टीम ने की है। गिरफ्तार युवक नरकटियागंज के राजपुर मठिया निवासी रजत कुमार मिश्र बताया जाता है। उसकी गिरफ्तारी के बाद यूपी साइबर सेल ने शिकारपुर पुलिस को सूचित किया है। साथ हीं गिरफ्तार आरोपित का अपराधिक इतिहास मांगा है। शिकारपुर थानाध्यक्ष अजय कुमार ने बताया कि युवक की गिरफ्तारी की सूचना मिली है। उसे यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने की जानकारी दी गई है और युवक के बारे में डिटेल मांगा गया है। उन्होंने बताया कि युवक के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। उसके खिलाफ शिकारपुर थाने में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है। हालांकि वह घटना से पहले थाने पर भी आता जाता था।

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उधर, युवक की गिरफ्तारी के बाद गांव के लोग भी हैरत में है। ग्रामीणों में चर्चा है कि अब तक लोग यहीं समझ रहे थे कि वह बाहर रहकर किसी अच्छे पद पर काम कर रहा था। उसके परिवार के लोग सदमे में हैं। कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। बता दें कि वह राजपुर मठिया निवासी घनश्याम मिश्र का इकलौता पुत्र है। आठ- इस वर्ष की उम्र में हीं वाराणसी में पढ़ाई करने के लिए चला गया था। वह पर्व- त्योहार के मौके पर हीं गांव में आता था। उसकी गाड़ी पर भारत सरकार का बोर्ड लगा रहता था।

वह अधिकारियों से मिलने के लिए भी जाता था। लेकिन, अब तक यहां के किसी अधिकारी व ग्रामीण से किसी तरह की वसूली की बात सामने नहीं आई है। बताया जाता है कि वह वाराणसी के भेलूपुर थाना के खोजवा समेत अलग- अलग जगहों पर ठिकाना बदलकर रहता था। उसके पास से यूपी साइबर सेल को जालसाजी के कुछेक प्रमाण भी उसके मोबाइल से मिले हैं। वह रेल मंत्री का फर्जी निजी सचिव बनकर यूपी, बिहार और बंगाल के रेल अधिकारियों को फोन करता था और ट्रांसफर पोस्टिंग कराने के नाम पर वसूली करता था।


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