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सात निश्चय से जुड़ी योजनाओं को 15 दिनों में पूर्ण करने का निर्देश, फेल हुए तो संवेदकों पर यह होगी कार्रवाई

सात निश्चय कार्य में लापरवाही बरतने वाले संवेदकों को भेजा जाएगा नोटिस। सड़कों को खोद कर छोड़ दिए जाने से उड़ रही धूल लोगों के सेहत पर खतरा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 09:06 AM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 09:06 AM (IST)
सात निश्चय से जुड़ी योजनाओं को 15 दिनों में पूर्ण करने का निर्देश, फेल हुए तो संवेदकों पर यह होगी कार्रवाई
सात निश्चय से जुड़ी योजनाओं को 15 दिनों में पूर्ण करने का निर्देश, फेल हुए तो संवेदकों पर यह होगी कार्रवाई

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शहर में सात निश्चय की सड़क, गली-नाली, नल-जल आदि योजना पूर्ण नहीं करने वाले संवेदकों के खिलाफ शनिवार से कार्रवाई शुरू कर दी गई है। नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा के कड़े आदेश और वार्ड पार्षद नंद कुमार प्रसाद साह के एक दिवसीय अनशन से निगम में सर्दी के मौसम में गरमाहट ला दी है।

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नगर आयुक्त मनेश कुमार मीणा ने पत्र जारी कर मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना का कार्य जहां-जहां रुकी हुई है, उसे 15 दिनों में हर हाल में पूर्ण करने का आदेश दिया है। ऐसा नहीं करने वाले संवेदकों का अग्रधन जब्त कर ली जाएगी और उन्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। उसके बाद उनको काम नहीं मिलेगा। उन्होंने अधिकारियों से संवेदकों की सूची मांगी है। उसके बाद सभी को नोटिस भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि सात निश्चय योजना के 107 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। आगे के कार्य में लापरवाही बरती जा रही है। कई सड़कों को खोद कर छोड़ दिए हैं।

गाडिय़ों के आने-जाने से धूल उड़ कर प्रदूषण फैल रहा है। लोगों की सेहत के लिए खतरा उत्पन्न हो रहा है। कुछ संवेदकों का कहना हैं कि इंजीनियर के कारण पेमेंट लटका रहता है। फरवरी में सड़क-नाली का काम मिला लेकिन पैसा अभी तक फंसा हुआ है। इस पर नगर आयुक्त ने कहा कि जो संवेदक कार्य पूरा कर ले रहे हैं, उनका पूर्ण भुगतान कर दिया जाता है। अभी तक 10 करोड़ से अधिक भुगतान कर दिया गया। कार्य पूर्ण करने के बाद ही भुगतान का प्रावधान है। बीच में नहीं।

इंजीनियरों की सेहत पर कोई असर नहीं

निगम के इंजीनियरों की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। कार्यपालक अभियंता व सहायक अभियंताओं के आने-जाने का कोई समय नहीं। कार्यपालक अभियंता अशोक कुमार सिन्हा सप्ताह में एक-दो दिन ही किसी वक्त रात के अंधेरे में या नगर आयुक्त के जरूरी कार्य पर बुलाने के बाद उनके चेंबर में नजर आते हैं। उनके कक्ष से निकलने के बाद फिर उनका दर्शन दुर्लभ होता है। उनका कार्यालय में हमेशा ताला लगा रहता है। करीब 400 नक्शा उनके कलम चलाने का मोहताज है। नगर आयुक्त के नोटिस का भी उनके सेहत पर कोई असर नहीं। चार बार नोटिस भेजने के बाद भी कोई जवाब नहीं। पिछली बार सशक्त स्थाई समिति की बैठक उन्होंने यहां से हटा देने की बात कही। बावजूद शान से बने हुए हैं। इसके कारण जनता को रोज उनके कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है। 


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