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वन अपराध रोकने के लिए भारत-नेपाल के अधिकारी करेंगे सूचना साझा

वीटीआर, नेपाल,उत्तराखंड, बंगाल, व उत्तर प्रदेश के वन अधिकारी शिकार,वन अपराध,तस्करी और भटके जानवरों की निगरानी अब एक-दूसरे के साथ साझा करेंगे। भारत-नेपाल दोनों देशों के वन अधिकारी ईमेल के जरिये सूचनाओं का आदान-प्रदान करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 04:06 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 04:06 PM (IST)
वन अपराध रोकने के लिए भारत-नेपाल के अधिकारी करेंगे सूचना 
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वन अपराध रोकने के लिए भारत-नेपाल के अधिकारी करेंगे सूचना साझा

मुजफ्फरपुर। वीटीआर, नेपाल,उत्तराखंड, बंगाल, व उत्तर प्रदेश के वन अधिकारी शिकार,वन अपराध,तस्करी और भटके जानवरों की निगरानी अब एक-दूसरे के साथ साझा करेंगे। भारत-नेपाल दोनों देशों के वन अधिकारी ईमेल के जरिये सूचनाओं का आदान-प्रदान करेंगे। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो दो अक्टूबर के बाद दोनों देश के वन अधिकारियों का एक वाट्सएप ग्रुप भी बनेगा। बताया जाता है कि वीटीआर में दो अक्टूबर के बाद नेपाल, उत्तराखंड, बंगाल व उत्तर प्रदेश के वन अधिकारियों के साथ बैठक होगी। इस रणनीति और कार्रवाई से अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिकारी तस्करों को पकड़ने में मदद मिलेगी। वीटीआर के फिल्ड डायरेक्टर एस. चन्द्रशेखर ने बताया कि भारतीय सीमा की ओर से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व और नेपाल की ओर चितवन तथा परसा वन आश्रयणी क्षेत्र के अधिकारी ईमेल के जरिए शिकारी, तस्करों की सूची एक दूसरे को देंगे। ईमेल के जरिए जंगल और जानवरों की सुरक्षा निगरानी तथा भटके जानवरों की गतिविधि का भी अदान-प्रदान किया जा रहा है। दोनों देश के वन अधिकारियों के बीच हुई बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है। बार्डर पर बनाया जाएगा बेसिक कैंप

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भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित वीटीआर के सुदुरवर्ती जंगलों मे बाघों की सुरक्षा और निगरानी बेसिक कैम्प के सहयोग से होगी। इसको लेकर वीटीआर प्रशासन ने नये सिरे से उत्तरांचल के बार्डर पर वीटीआर के सुदूरवर्ती जंगल मे जीपीएस सिस्टम से स्थलों को चिन्हित कर बेसिक कैम्प बनाने का प्रस्ताव बनाया है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो वाल्मीकिनगर से मंगुराहां वन क्षेत्र तक बार्डर पर आधा दर्जन से अधिक बेसिक कैम्प बनाए जाएंगे। उस बेसिक कैम्प पर संसाधन से लैस प्रशिक्षित वनकर्मियों की तैनाती रहेगी। वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक एस चन्द्रशेखर ने बताया कि जगह - जगह बेसिक कैम्प बन जाने से वीटीआर के ऊँचे स्थानों पर डेरा डाले शिकारी तस्करों पर निगरानी करने मे सहूलियत मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिकारी तस्कर नेपाल के रास्ते सुदूरवर्ती वीटीआर के जंगल मे प्रवेश कर डेरा डाल देते हैं। उनको पकड़ने में सुविधा होगी।

डॉल्फिन की सुरक्षा को लेकर वीटीआर प्रशासन गंभीर

बिहार और यूपी की सीमा पर अवस्थित वाल्मीकि टाईगर रिजर्व के जंगल से होकर गुजरी गंडक नदी मे अधिवास करने वाले डाल्फिन की सुरक्षा अब यूपी वन प्रशासन के साथ साझा कर होगी। इसको लेकर वाल्मीकि टाईगर रिजर्व वन प्रशासन ने आगामी माह अक्टूबर से नवम्बर के बीच उत्तर प्रदेश वन प्रशासन के साथ एक बैठक कर गंडक नदी मे डॉल्फिन की सुरक्षा के लिए रणनीति बनाएगी। इसकी तैयारी वीटीआर प्रशासन की ओर से शुरू हो गयी है। सीमावर्ती वीटीआर के जंगल होकर गुजरी गंडक नदी में वाल्मीकिनगर से मदनपुर वन प्रक्षेत्र के सीमा तक तथा सेंसेटिव जोन के दायरे मे गंडक नदी मे दर्जनों डॉल्फिन देखे जा रहे है। उन डॉल्फिनों पर शिकारियों की नजर लगी है। गंडक नदी मे अवैध नावों के सहारे मछुआरा वन्यजीव तथा मछलियों और कछुओं का शिकार इन दिनो जाल के सहारे करते है। जानकार बताते है, कि उन तत्वों के जाल में कई बार डॉल्फिन के शावक भी फंस जाते है। इसलिए अगर डॉल्फिन की सुरक्षा नही हुआ तो शिकारियों की नजर गंडक नदी में अधिवास बनाये डाल्फिनों पर लग जायेगी। बताया जाता है, कि इन दिनों गंडक नदी में डॉल्फिन की संख्या बढ़ रहा है। चूंकि गंडक नदी बिहार के वीटीआर और यूपी के सोहगीबरवा वन आश्रणीय क्षेत्र होकर गुजरी है। इसलिए डॉल्फिन की सुरक्षा में दोनों राज्यों के वन प्रशासन को अपना हाथ बढ़ाना होगा। टाईगर रिजर्व वन प्रमण्डल दो के डीएफओ सह उप निदेशक गौरव ओझा ने बताया कि गंडक नदी में अधिवास करने वाले डॉल्फिन की सुरक्षा सीमावर्ती उत्तर प्रदेश वन प्रशासन के साथ साझा कर होगी। इसके लिए आगामी माह में यूपी वन प्रशासन के साथ एक बैठक वीटीआर में होगी तथा उस बैठक मे डॉल्फिन की सुरक्षा तथा नदी मार्ग से हो रहे वन्य पदार्थो की तस्करी रोकने की रणनीति बनेगी ।


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