जब-जब राजनीति के पांव लड़खड़ाए साहित्य ने उसे संभाला
राजनीति के पांव जब-जब लड़खड़ाए साहित्य ने उसे संभाला।
मुजफ्फरपुर : राजनीति के पांव जब-जब लड़खड़ाए साहित्य ने उसे संभाला। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जब सीढ़ी चढ़ने के क्रम में लड़खड़ाए थे तो रामधारी सिंह दिनकर ने यही पंक्तियां उन्हें कहीं थीं। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के पीजी हिदी विभाग में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा के अनावरण के बाद विवि के कुलपति सह मुख्य अतिथि प्रो.हनुमान प्रसाद पांडेय ने इन पंक्तियों को जीवंत किया तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। उन्होंने कहा कि मैं हिदी का विद्यार्थी नहीं रहा, लेकिन हिदी की सरसता और तेजस्विता मुझे मोहित करती है। मैं दिनकर का बड़ा प्रशंसक हूं। दिनकर से संबंधित यह आयोजन पूरे विश्वविद्यालय के लिए सम्मान और प्रेरणा का विषय है। दिनकर का साहित्य भारतीय जन-जीवन को ऊंचा उठाने वाला है। विशिष्ट अतिथि तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त मिहिर कुमार सिंह ने कहा कि देश में वर्तमान परि²श्य में एक दूसरे को आरती दिखाने वाली रचनाएं हो रही हैं। दिनकर अपनी रचनाओं से सच को सच कहने का साहस रखते थे। युवा पीढ़ी को इससे सीखने की जरूरत है। कहा कि हम कला संस्कृति से दूर हो रहे हैं। साहित्य को इससे जोड़ना होगा ताकि हमारी समृद्ध विरासत कायम रह सके। विश्वविद्यालय हिदी विभागाध्यक्ष डा.सतीश कुमार राय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए दिनकर के जीवन-संघर्षों की चर्चा की। कहा कि इस हिदी विभाग से उनका संबंध रहा। इस विभाग में उनकी प्रतिमा की स्थापना हम सबके लिए हर्ष और गर्व का विषय है। उनके जीवन और सृजन से आनेवाली पीढि़यों को सदैव प्रेरणा मिलेगी। कार्यक्रम की शुरूआत में विभाग के परिसर में रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा का अनावरण कुलपति, आयुक्त समेत अन्य आगत अतिथियों ने किया। सभी अतिथियों को पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र और स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया गया। दिनकर-स्मृति-मंच के अध्यक्ष, विश्वविद्यालय के पूर्व-कुलसचिव एवं पूर्व-कुलानुशासक प्रो. विवेकानंद शुक्ल ने दिनकर को इतिहास-पुरुष की संज्ञा से नवाजा।
आयोजन-सचिव डा. कल्याण कुमार झा ने संचालन के क्रम में दिनकर को भारत रत्न देने के लिए कुलपति के माध्यम से केंद्र सरकार को पत्र भेजने का प्रस्ताव रखा। इसपर कुलपति से सहमति दे दी। कार्यक्रम में मुख्य रुप से कुलसचिव डा.आरके ठाकुर, कुलानुशासक डा.अजीत कुमार, सीसीडीसी डा.अमिता शर्मा, विकास पदाधिकारी डा.प्रमोद कुमार, डा.अनिल कुमार सिंह, डा.ओमप्रकाश राय, डा.ममता रानी, डा.अभय कुमार सिंह, डा.रत्नेश मिश्र, राजीव रंजन, डा.उज्जवल आलोक, डा.राकेश रंजन, डा.संध्या पांडेय, डा.रमेश गुप्ता, डा.सतीश कुमार व डा.ललित किशोर समेत अन्य बुद्धिजीवी मौजूद रहे।
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डा.जगदीश सिंह के जीवन मूल्यों पर रचित पुस्तक का लोकार्पण :
हिदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डा.सुशांत कुमार रचित पुस्तक डा.जगदीश प्र.सिंह के उपन्यासों में जीवन मूल्यों के विविध आयाम का लोकार्पण किया गया। डा.सुशांत ने बताया कि इस पुस्तक में डा.जगदीश के विभिन्न उपन्यास जिनमें 1990 के दशक का बिहार का वर्णन है। उस समय की राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को लेकर लिखी गई उनकी सभी रचनाओं पर केंद्रित यह शोध ग्रंथ डा.जगदीश प्र.सिंह के विराट व्यक्तित्व को समेटे हुए है। इस अवसर पर विभाग के सहायक प्राध्यापक डा.सुशांत कुमार की सद्य:प्रकाशित पुस्तक डा.जगदीश प्रसाद सिंह के उपन्यासों में जीवन-मूल्यों के विविध आयाम का लोकार्पण किया गया।