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समस्तीपुर में शराब माफिया व सिस्टम का 'सिंडिकेट' बनी नई चुनौती

आरएनएआर कॉलेज के प्रधानाचार्य सह रसायनशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डा. सुरेंद्र प्रसाद ने बताया कि मिथाइल अल्कोहल की अधिक मात्रा में सेवन से होती है मौत। 10 वर्ष पूर्व जहरीली शराब पीने से समस्तीपुर शहर के काशीपुर में हुई थी 12 की मौत।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 07 Nov 2021 08:47 AM (IST)Updated: Sun, 07 Nov 2021 08:47 AM (IST)
समस्तीपुर में शराब माफिया व सिस्टम का 'सिंडिकेट' बनी नई चुनौती
जहरीली शराब कांड की याद शहर के लोगों की जेहन में फिर से हुई ताजी।

समस्तीपुर, [प्रकाश कुमार]। कच्ची शराब, अन्य प्रदेशों से शराब की तस्करी व नकली शराब रोकने के लिए समय-समय पर प्रयास किए जाते रहे हैं। शराब कारोबारियों का सिंडिकेट तोड़ने के लिए सरकार सख्त कार्रवाई को लेकर आदेश देती है। फिर भी इस पर पूर्णत: कार्रवाई नहीं हो पाती है। बहुत या तो जानबूझकर आंख मूंद लेते हैं या फिर उन तक सूचना नहीं पहुंच पाती है। सूचना का नहीं पहुंचना भी आसूचना संग्रहण करने वालों के लिए चुनौती मानी जाती है। प्रशासन के सामने अब जो नई चुनौती आई है, वह है शराब माफिया व सरकारी सिस्टम के सिंडिकेट की। शाहपुर पटोरी की घटना के बाद नकली शराब बेचे जाने का राजफाश हुआ है, उससे सवाल उठना लाजमी है कि जहरीली शराब बनाने के लिए माफिया को मिथाइल अल्कोहल कौन उपलब्ध कराता है। इससे पुलिस के इकबाल पर भी सवाल उठता है।

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जांच के नाम पर होती है खानापूर्ति

जिले में अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने को लेकर प्रशासनिक आदेश के बाद पुलिस टीम जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करती है। सही चेकिंग करने पर ही बड़ा मामला खुलकर सामने आ सकता है। इस घटना से स्पष्ट होता है कि यहां केवल कागजों में ही जांच होती है। धड़ल्ले से जहरीली शराब बनती और बिकती रही और जिम्मेदार सोते रहे। अब जहरीली शराब से मौत के बाद पुलिस प्रशासन जागा है।

10 वर्ष पूर्व जहरीली शराब पीने से 12 की हुई थी मौत

शाहपुर पटोरी थाना क्षेत्र के रुपौली गांव में जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत होने के 10 साल पूर्व शहर के काशीपुर मोहल्ला में जहरीली शराब कांड की याद लोगों के जेहन में फिर से ताजी हो गई। वर्ष 2011 में 18 से 22 फरवरी तक काशीपुर में जहरीली शराब पीने से 12 लोगों की मौत हो गई थी। उस घटना ने प्रशासन को झकझोर दिया था।

चार वर्ष पूर्व शराब तस्कर से मुठभेड़ में बीएमपी हवलदार की हुई थी मौत

शराब तस्करी पर रोक लगाने को लेकर चार वर्ष पूर्व 27 नवंबर 2017 की रात्रि सरायरंजन में पुलिस की मुठभेड़ हुई थी। इसमें बीएमपी के हवलदार अनिल कुमार सिंह शहीद हो गए थे। इस वारदात में तत्कालीन थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह घायल हो गए थे। उनके हाथ में गोली लगी थी। उस समय शराब तस्करी की सूचना पर सरायरंजन थानाध्यक्ष और समस्तीपुर डीआईयू की टीम ने छापेमारी के दौरान हलई ओपी के इंदिरा वाला केबल स्थान पहुंचकर एक वाहन को चारों तरफ से घेर लिया था। इसके बाद गाड़ी के अंदर से अचानक गोली चलने लगी थी। पुलिस की ओर से भी जवाबी कार्रवाई करते हुए दर्जनों राउंड फायरिंग की गई थी। घटना के बाद तस्कर फरार हो गए थे।

मिथाइल अल्कोहल की अधिक मात्रा में सेवन से होती है मौत  

जहरीली शराब पीने से जिले में चार लोगों की मौत हो गई। नकली शराब बनती हर जगह है और धड़ल्ले से बिकती भी है, लेकिन वो जहरीली तभी कही जाती है, जब लोगों की जान चली जाए। लोग सोचते हैं कि आखिर जहरीली शराब में ऐसा क्या होता है कि उसे पीते ही जान चली जाती है। आरएनएआर कॉलेज के प्रधानाचार्य सह रसायनशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डा. सुरेंद्र प्रसाद ने बताया कि कच्ची या जहरीली शराब बनाने के लिए कई तरह के घातक रसायन व वस्तुएं इस्तेमाल की जाती हैं। इसमें कोई तय तापमान नहीं होता, जिससे एथाइल के साथ मिथाइल, एथाइल, प्रोपाइल आदि अल्कोहल भी शराब में शामिल हो जाते हैं। मिथाइल सबसे ज्यादा खतरनाक अल्कोहल होता है। इसका सबसे ज्यादा असर आंखों और दिमाग पर पड़ता है। यह सीधे तौर पर लीवर को भी प्रभावित करता है। इसके अधिक सेवन से मौत हो सकती है। व्यक्ति अंधा हो सकता है।

मिथाइल अल्कोहल से बनता है फार्मेल्डिहाइड

मिथाइल अल्कोहल के लीवर में पहुंचने पर फार्मेल्डिहाइड बन जाता है, जो एक तरह का तीव्र जहर है। इसका फार्मेलीन नाम से कामर्शियल इस्तेमाल भी होता है। मिथाइल अल्कोहाल का इस्तेमाल ज्यादातर पेंट व प्लाईवुड इंडस्ट्रीज में होता है। इसी मिथाइल अल्कोहल को सस्ती शराब बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। खतरे से अनजान लोग इसका शराब के रूप में सेवन करते हैं और जान गंवा देते हैं। 


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