पूर्वी चंपारण में इस तरह किसानों की आय पर डाका डाल रही नीलगाय
प्रतिवर्ष चट कर जाती 15-20 फीसद फसल। उसकी लंबी छलांग की वजह से एनएच पर हो चुकीं कई दुर्घटनाएं। एक ओर मौसम की मार से किसान निजात नहीं पा रहे हैं तो दूसरी ओर नीलगाय का उत्पात से किसानों पर आफत बनकर टूट रहा है।
पूर्वी चंपारण, जेएनएन। किसानों की परेशानी नीलगायों के आतंक से इतना बढ़ गया है कि प्रतिवर्ष किसानों की गाढी कमाई बर्बाद हो रही हैं। खेत में लहलहाती फसल बर्बाद हो रही है। प्राकृतिक आपदा से आहत किसानों को अब नीलगायों ने आतंकित कर दिया है। एक ओर मौसम की मार से किसान निजात नहीं पा रहे हैं तो दूसरी ओर नीलगाय का उत्पात से किसानों पर आफत बनकर टूट रहा है। हजारों रुपये की लागत और कड़ी मेहनत से तैयार होती फसल को झुंड में पहुंचे नीलगाय बर्बाद कर देते हैं। नीलगाय झुंड में रहती हैं तो जितना ये फसलों को खाकर नुकसान करती हैं उससे ज्यादा इनके पैरों से नुकसान पहुंचता है।
अनुमान के तौर पर प्रतिवर्ष जिले की 15-20 फीसद फसलों को आसानी से चट कर जाते हैं। इस प्रकार नीलगाय किसानों के आय का आतंक बन चुकी है। किसानों का कहना है कि जैसे हीं इन फसलों का फूल तैयार होता है वह नीलगायों का निवाला बन जाता है। खाने से ज्यादा इनके पैरों से फसल की बर्बादी होती है।एक साथ 15 से 30 नीलगाय खेतों में प्रवेश करते है जिस खेत में झुंड जाता है उस खेत की फसल को चरने के अलावे बर्बाद भी कर देते है। नीलगायों के तांडव से मुक्ति के लिए किसानों ने जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों को कई बार आवेदन भी दिया लेकिन किसानों को राहत पहुंचाने की दिशा में आज तक कोई पहल नहीं की जा सकी है।
हर्बल घोल दिलाएगी नीलगायों के आतंक से निजात
कृषि विज्ञान केंद्र (केविके) पिपराकोठी के वैज्ञानिक डॉ. अरबिंद कुमार सिंह ने बताया कि हर्बल घोल के छिड़काव से किसान नीलगायों के आतंक से बच सकते हैं। बताया कि गोमूत्र, मट्ठा और लालमिर्च समेत कई घरेलू चीजों से तैयार हर्बल घोल नीलगायों से निजात की दिशा में कारगर साबित हो रहा है। हर्बल घोल की गंध से नीलगाय और दूसरे जानवर 20-30 दिन तक खेत के आसपास नहीं भटकते हैं। बताया कि खुद नीलगाय के गोबर से तैयार घोल की गंध से ये नीलगाय दूर तक नहीं भटकती हैं।
ऐसे बनाएं हर्बल घोल
चार लीटर मट्ठे में आधा किलो छिला हुआ लहसुन पीसकर मिलाकर इसमें 500 ग्राम बालू डालें। इस घोल को पांच दिन बाद छिड़काव करें। इसकी गंध से करीब 20 दिन तक नीलगाय खेतों में नहीं आएगी। इसे 15 लीटर पानी के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है। बीस लीटर गोमूत्र, 5 किलोग्राम नीम की पत्ती, 2 किग्रा धतूरा, 2 किग्रा मदार की जड़, फल-फूल, 500 ग्राम तंबाकू की पत्ती, 250 ग्राम लहसुन, 150 लालमिर्च पाउडर को एक डिब्बे में भरकर वायुरोधी बनाकर धूप में 40 दिन के लिए रख दें। इसके बाद एकलीटर दवा 80 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करने से महीना भर तक नीलगाय फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाती है। इससे फसल की कीटों से भी रक्षा होती है।