COVID-19 : Coroanavirus : चीन में मरीज सामने आने लगे तो लौटना ही समझा मुनासिब, जानिए मीनापुर के युवक की दास्तां
COVID-19 Coroanavirus चीन के वुहान की आहट जेलिन तक आई मास्क लगा बाहर जाने व कम निकलने की मिली सलाह।
मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। अचानक वुहान से खबर आई कि कोरोना वायरस का अटैक शुरू है। कॉलेज की ओर से चेतावनी मिली कि घर पर रहिए। बिना काम बाहर न जाएं। मास्क लगाकर ही निकलें। मन में अनहोनी सताने लगी। देखते ही देखते कई शहर लॉकडाउन होने लगे। इस बीच घर से संवाद आने लगे कि वहां से किसी तरह निकल लो।
रास्ते में कुछ खाया-पीया नहीं
कुछ मित्रों ने भी संकेत दिए कि भयावह हालत होनी है। खैर, ऊपर वाले की मेहरबानी रही। बुलेट ट्रेन से हवाई अड्डा के लिए निकले। भय सता रहा था इसलिए रास्ते में कुछ खाया-पीया भी नहीं। इतना कहकर भावुक हो गए मीनापुर के युवक। वहां से आए उनको एक माह से ज्यादा हो गया। दो जगह मेडिकल जांच भी हुई। सब कुछ ओके रहा। एसकेएमसीएच से भेजे गए नमूने की रिपोर्ट भी निगेटिव आई।
मेडिकल की पढ़ाई कर रहे चीन में
उन्होंने बताया कि वह जेलिन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। उनके कॉलेज में दिसंबर के अंतिम सप्ताह में अवकाश हो गया था। सोचा था कि इस बार चीन में रहकर सैर करनी है। लेकिन, अचानक पता चला कि वुहान के बाद मेरे शहर में भी दो पॉजिटिव मरीज मिले। मन विचलित होने लगा। बाहर किसी तरह से निकलकर हाथ धोने के लिए सैनिटाइजर लिया। कमरे पर आकर कुछ खाया। शाम में जानकारी मिली कि लॉकडाउन होने वाला है। उसके बाद वहां से कार से निकले।
सभी उड़ान कर दी गईं रद
उन्होंने बताया कि जिस दिन वह इंडिया आए। उसके बाद से सभी उड़ान रद कर दी गईं। भगवान का शुक्र रहा। दिल्ली में एक रिश्तेदार के यहां रुके। इसके बाद वहां से घर आए। कुछ दिन बाद पता चला कि ट्रेन-बस सब बंद। यहां आने पर चिकित्सक ने जांच की। इसके बाद घर वाले व समाज निश्चिंत हुआ। उन्होंने बताया कि होम क्वारंटाइन सबसे बेहतर है। चीन से लेकर मीनापुर तक शारीरिक दूरी और 14 दिनों तक होम क्वारंटाइन का पालन किया। सबकुछ ठीक-ठाक है।
इस तरह गुजारे दिन
तीन फरवरी को सुबह चले। इसके बाद दिल्ली में रहे। सात फरवरी को गांव आए।
- चीन में 12-13 जनवरी से लॉकडाउन का सिलसिला चल रहा था।
- जेलिन शहर में लॉकडाउन नहीं था, लेकिन बहुत कम लोग सड़क पर निकलते थे।
- डॉक्टर सप्ताह में आकर शरीर का तापमान लेते थे।
- दुकानें बंद थीं। सड़क पर निजी वाहन भी नहीं चल रहे थे।
- सरकार की ओर से पब्लिक टैक्सी और बस चल रही थीं।
- एक-दो सप्ताह का सामान खरीद कर रख लेते थे, ताकि कोई परेशानी नहीं हो।