Bihar Election 2020 : आखिर इस चुनाव में पाकिस्तान और जिन्ना की कैसे हुई एंट्री, क्या है इसका दरभंगा कनेक्शन
Bihar Election 2020 जाले विधानसभा सीट इस बार सबक देने को तैयार। 1967 में अस्तित्व में आई इस विधानसभा सीट ने सभी दलों को दिया अवसर। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवॢसटी छात्र संगठन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मश्कूर अहमद उस्मानी के आने से गरमाया माहौल।
दरभंगा, [ संजय कुमार उपाध्याय]। Bihar Election 2020 : जिले की जाले विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर सियासी माहौल गरमाने लगा है। यहां से उसने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवॢसटी छात्र संगठन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मश्कूर अहमद उस्मानी को प्रत्याशी बनाया है। वही मशकूर जो पाकिस्तान के संस्स्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगाने के कारण चर्चा में आए थे। इस वजह से उनके विरोधियों ने प्रचार के दौरान पाकिस्तान और जिन्ना की चर्चा शुरू कर दी है। इस तरह बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जिन्ना और पाकिस्तान की एंट्री हो गई है।
दो बार भाजपा ने जीत दर्ज की
वर्तमान समीकरण और फार्मूले के बीच नए चेहरे को लेकर राजनीतिक पंडित विवेचना करने लगे हैं। उनका मानना है कि इस सीट पर भाजपा काबिज है। इससे पहले भी दो बार भाजपा ने जीत दर्ज की थी। ऐसे में अलीगढ़ की छात्र राजनीति से उभरे डॉ. मश्कूर के लिए राह आसान नहीं होगी। इनके मुकाबले में एनडीए की ओर से भाजपा प्रत्याशी वर्तमान विधायक जीवेश कुमार हैं। उन्होंने भी अपनी राजनीति की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की है। लोग जीवेश के पांच साल के कार्यों का लेखा-जोखा व स्थानीयता को पलड़े पर रखकर तौल रहे। वहीं, दरभंगा के मूल निवासी डॉ. मश्कूर द्वारा छात्र जीवन से लेकर अबतक की गई राजनीति को भी परख रहे हैं। कई पुरानी तस्वीरें और वीडियो की विवेचना हो रही है। स्थानीय लोग कहते हैं- अभी कुछ न पूछिए। हमारी विधानसभा का अपना रंग है। इतिहास पलट लीजिए, जान जाएंगे। हम हर बार सबक देते हैं।
जिन्ना की तस्वीर लगाने पर आए थे चर्चा में
डॉ. मश्कूर की प्रारंभिक शिक्षा दरभंगा केंद्रीय विद्यालय से हुई है। आगे की पढ़ाई के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवॢसटी चले गए। वहां से दंत चिकित्सा (बीडीएस) की पढ़ाई की। वर्ष 2017 में यूनिवॢसटी में हुए छात्र संघ के चुनाव में अध्यक्ष बने। वर्ष 2018 में छात्र संघ के कार्यालय में जिन्ना की तस्वीर लगाने को लेकर चर्चा में आए थे।
यहां से तीन बार जीत चुकी है कांग्रेस
जाले विधानसभा सीट बदलाव पसंद रही है। वर्ष 1967 में अस्तित्व में आने के बाद पहली बार यहां से सीपीआइ को अवसर मिला। 1969 में जनसंघ, 1972 में फिर सीपीआइ, 1977 में जनता पार्टी, 1980 में सीपीआइ, 1985 में कांग्रेस, 1990 में कांग्रेस, 1995 में कांग्रेस, 2000 में भाजपा, 2005 के दोनों चुनाव में राजद, 2010 में भाजपा, 2014 के उपचुनाव में जदयू और 2015 में भाजपा ने फिर इस सीट पर कब्जा कर लिया।