पश्चिम चंपारण के लौरिया में पर्यटकों को ठहरने के लिए नहीं बन सका होटल या गेस्ट हाउस
ऐतिहासिक स्थल की विकास की लगी रही उम्मीद अशोक स्तंभ की सुरक्षा के लिए बांस का लगा गेट बुद्ध से जुड़े कई धरोहरों की वजह से लौरिया को बुद्धा सर्किट से जोडऩे की बात तो काफी दिनों से चल रही है!
पश्चिम चंपारण, जेएनएन । बुद्ध से जुड़े कई धरोहरों की वजह लौरिया को बुद्धा सर्किट से जोडऩे की बात तो काफी दिनों से चल रही है, जिसके साथ ही नंदनगढ़ समेत ऐतिहासिक स्थलों के विकास की उम्मीद भी लोगों में जगी। लेकिन लंबे इंतजार के बाद भी यहां पहुंचने वाले बुद्ध के अनुयायियों और पर्यटकों की सुविधाओं के लिए विकास कार्य नहीं आरंभ हो सके। हद तो यह कि विभागीय स्तर पर इन स्थलों को सुरक्षित रखने के लिए मौजूद संसाधन भी टूटने बिखरने लगे हैं।
प्रसिद्ध अशोक स्तंभ के आसपास स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए बांस की फट्टियों का गेट लगाया गया है। वह पहले लोहा का लगाया गया था। लेकिन समय के साथ वह नष्ट होने लगा। लोगों का कहना है कि यहां नंदनगढ़ और अशोक स्तंभ के अलावा कई टीले हैं। प्राय: जापान, ताइवान श्रीलंका समेत कई देशों के बौद्ध धर्मावलंबियों का आना जाना होता है। लेकिन यहां उन्हें ठहरने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। कोई होटल या गेस्ट हाउस नहीं बना। और नहीं तो पहलेे से इन धरोहरों को संरक्षित रखनेे के लिए जो निर्माण हुआ है, वह भी दिन प्रतिदिन टूटता जा रहा है। हालांकि देखरेख के लिए पुरातत्व विभाग ने एक कर्मी को तैनात कर दिया है। बता दें कि यहां दर्जनों बौद्ध टीलों के अलावा एक विशाल बौद्ध स्तुप भी है । यही नहीं सम्राट अशोक ने कङ्क्षलग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म से संबंधित अपने राज्यादेश को खुदवाकर एक स्तंभ लेख भी यहां लगवाया । इसे देखने व पूजा करने प्रति वर्ष हजारों विदेशी आते रहते हैं । लेकिन विभागीय व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण इन ऐतिहासिक स्थलों का विकास नहीं हो सका ।
बौद्ध स्तूप का करीब आधा भाग अभी भी मिट्टी व ईद के टुकड़ों से भरा पड़ा है। यहां पर्यटकों की जानकारी के लिए लगे बोर्ड भी पठनीय नहीं रहा अशोक स्तंभ परिसर में लगा बोर्ड कई साल पहले आ़ंधी में उड़ गया। उसके बाद आज तक बोर्ड नहीं लगा। स्तंभ के बाउंड्री का एकमात्र गेट भी काफी पहले टूट गया था, जिसे करीब चार साल पहले राजकीय मध्य विद्यालय लौरिया बालक के तत्कालीन प्राचार्य हाजी मो जहीर ने अपने बनवाया। लेकिन अब वह भी टूट गया है। गार्ड जयकरण ठाकुर उस टूटे फाटक के बदले बांस का एक फाटक यहां लगाकर मवेशियों से उसकी रक्षा करते हैं । लोगों का कहना है कि लौरिया नंदनगढ़ महोत्सव भी हुआ था। लेकिन व्यवस्था की उदासीनता के कारण उसके बाद ऐसा कोई आयोजन नहीं हुआ। लोग इन सब के पीछे जनप्रतिनिधियों द्वारा ध्यान नहीं देना बताते हैं। पुरातत्व विभाग के कर्मी अनिल देव ङ्क्षसह ने बताया कि वरीय अधिकारियों को सूचना दी गई है। शीघ्र ही अशोक स्तंभ का गेट लगा दिया जाएगा।