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तन अमेरिका व मन भारतीय संस्कृति में, मैथिली में अनुवादित इनकी श्रीमद्भगवत गीता विदेशों में मचा रही धूम

16 वर्षों से अमेरिका में रह रहीं काजल कर्ण मैथिली और मिथिला की संस्कृति से गहरा जुड़ाव बनाए हुए हैं। हर वर्ष इनके द्वारा आयोजित मैथिली दिवस समारोह प्रेरणाप्रद है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 02:47 PM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 08:42 PM (IST)
तन अमेरिका व मन भारतीय संस्कृति में, मैथिली में अनुवादित इनकी श्रीमद्भगवत गीता विदेशों में मचा रही धूम
तन अमेरिका व मन भारतीय संस्कृति में, मैथिली में अनुवादित इनकी श्रीमद्भगवत गीता विदेशों में मचा रही धूम

दरभंगा [प्रिंस कुमार]। मातृभाषा मैथिली और अपनी संस्कृति से इनका इतना गहरा लगाव है कि अमेरिका में बस जाने के बावजूद ये इसका मोह नहीं त्याग सकीं। हम बात कर रहे हैं मैथिली भाषी काजल कर्ण की, जिन्होंने अमेरिका में रहते मैथिली में श्रीमद्भागवत गीता की अनुवाद पुस्तक तैयार की। यह पुस्तक वहां रहने वाले मिथिलांचल के लोगों में खूब पढ़ी और सराही जा रही है। 20 जुलाई 2019 को मैथिली में श्रीमद्भागवत गीता को अमेरिका में प्रकाशित किया गया था। यूएसए में रह रहे मिथिलांचल के लोग प्रकाशन समारोह में शामिल हुए थे। अबतक पुस्तक की दो हजार से अधिक प्रतियां छप चुकीं हैं।

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विभिन्न देशोंं में पुस्तक की लोकप्रियता

भारत, अमेरिका, नेपाल सहित अन्य देशों में इस अनुवाद पुस्तक की बिक्री हो रही है। ऑनलाइन व अन्य माध्यमों से लोग मैथिली में अनुवादित श्रीमद्भागवत गीता की प्रति खरीद रहे हैं। अकेले अमेरिका में पांच सौ से अधिक प्रतियां लोगों ने ली हैं।

16 साल से विदेश में कर रहीं मैथिली भाषा और संस्कृति का प्रचार-प्रसार

काजल कर्ण 16 वर्षों से अमेरिका में सपरिवार रह रही हैं। उन्हेंं 10 वर्ष पूर्व अमेरिका की नागरिकता प्राप्त हो चुकी है। वहां बस जाने के बाद भी मैथिली भाषा और संस्कृति से इनका लगाव नहीं छूटा और ये इसका प्रचार-प्रसार अमेरिका सहित अन्य देशों में कर रहीं हैं।

अमेरिका में प्रतिवर्ष आयोजित करतीं हैं मैथिली दिवस समारोह

काजल बताती हैं कि इन्होंने गौर किया कि श्रीमद्भागवत गीता कई भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है। फिर यह ख्याल आया कि मैथिली में भी यह होनी चाहिए। इस तरह मैथिली भाषा को विश्व पटल पर लाने के लिए श्रीमद्भागवत गीता का मैथिली में अनुवाद करने का इन्होंने संकल्प लिया। अमेरिका के डलास टीएक्स शहर में रह रहीं काजल कर्ण मैथिली भाषा को प्रचारित करने के लिए प्रति वर्ष अमेरिका में मैथिली दिवस समारोह आयोजित करती हैं। अमेरिका में रह रहे बड़ी संख्या में मिथिलांचल के लोग इसमें शामिल होते हैं।

बच्चों की परवरिश में भी अपनी संस्कृति की महत्ता

काजल मूल रूप से नेपाल के जनकपुर धाम की रहने वाली हैं। इनकी मां अंजली कर्ण का मायका पटना है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा जनकपुर धाम में हुई। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए ये अमेरिका गईं। आइटी के क्षेत्र में पढ़ाई के बाद नेपाल के सर्लाही निवासी देवेंद्र लाल कर्ण से इनकी शादी हुई। पति व्यवसाय करते हैं। इन्हें तीन पुत्र हैं। इन सभी की परवरिश में भी इन्होंने मैथिली संस्कृति की प्रधानता का ख्याल रखा है। सोशल मीडिया पर भी ये मैथिली संस्कृति और यहां के लोगों को व्यवसाय से जोड़ने की मुहिम चला रहीं हैं। 


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