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राष्ट्रीय एकता, स्वाभिमान व आत्मा की भाषा है हिदी

भारतवासियों के लिए हर दिवस हिदी दिवस होना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 01:36 AM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 01:36 AM (IST)
राष्ट्रीय एकता, स्वाभिमान व आत्मा की भाषा है हिदी

मुजफ्फरपुर : भारतवासियों के लिए हर दिवस हिदी दिवस होना चाहिए। मातृभाषा होने के बाद भी वर्तमान समय में युवा पीढ़ी इससे दूर हो रही है। अंग्रेजी को रोजगार सृजन का बड़ा माध्यम माना जा रहा है। दूसरी ओर विश्व बाजार ने हिदी के प्रचार-प्रसार की दिशा में पहल की है। आज हिदी आसानी से मोबाइल, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों में लिखी और बोली जा रही है। इसके गहन अध्ययन से रोजगार की भी संभावनाएं प्रबल हो रही हैं। तमाम पत्र-पत्रिकाएं और पुस्तकों के हिदी अनुवाद बाजार में उपलब्ध हैं। जरूरत है कि युवा पीढ़ी इसके अध्ययन और प्रचार-प्रसार के लिए आगे आए तभी हिदी दिवस की सार्थकता सिद्ध हो सकेगी।

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विदेश के 200 से अधिक विश्वविद्यालयों में दिया जा रहा हिदी का प्रशिक्षण :

फोटो :

डिजिटल युग में युवाओं को सर्वाधिक अपनी भाषा और ज्ञान का सदुपयोग करना चाहिए। भारत की राजभाषा और कई प्रांतों की मातृभाषा व बाजार की भाषा होने से इसे विश्वभाषा का भी दर्जा प्राप्त है। विदेश के 200 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिदी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके प्रचार-प्रसार में हिदी अखबारों, सिनेमा जगत, दूरदर्शन के विभिन्न चैनल, रेलवे व बैंकिंग प्रणाली की अहम भूमिका रही है। डिजिटल युग में हम अपने मनोभाव हिदी में प्रकट करते हैं तो पूरे विश्व के लोग इसे इसी भाषा में देखते हैं। इसमें एक स्वाभाविक मिठास है। अंग्रेजों के साम्राज्य विस्तार कर लेने के बाद भी पूरा देश हिदी के माध्यम से एकत्र हुआ। यह राष्ट्रीय एकता, स्वाभिमान, स्वतंत्रता और आत्मा की भाषा है।

- डा.संजय पंकज, वरिष्ठ साहित्यकार

--------------------- बच्चों में हिदी पढ़ने के लिए जगाएं ललक : फोटो : ट्रैक पर :: समाज हिदी भाषा को लेकर जागरूक नहीं है। घरों में अशुद्ध हिदी बोली जाती है तो इसका विरोध नहीं होता और न इसे सुधारने की सलाह दी जाती है। यह एक बड़ी समस्या है। बाजारीकरण की दौड़ में अंग्रेजी इसकी भाषा रही है। वहीं, हिदी को प्रतिरोध की भाषा माना जाता रहा। हम सभी का दायित्व है कि बच्चों को जागरूक करें। उन्हें बताएं कि हिदी हमारी संस्कृति का हिस्सा है। हिदी में साहित्य, ज्ञान, दर्शन, कविता, आदर्श और मूल्य सभी समाहित हैं। इसके माध्यम से हम अपनी विरासत, परंपरा, संस्कृति को जान सकते हैं। बच्चों में पुस्तक पढ़ने की प्रवृत्ति जागृत करें और उनको सही भाषा बोलने के लिए प्रेरित करें। हमारे आसपास यदि कोई अशुद्ध बोल रहा हो तो उसे समझाएं कि शुद्ध बोलकर हम इसे और प्रभावी बना सकते हैं। विकास की दृष्टि से हिदी दुनिया की पहली भाषा हो गई है। यह अंग्रेजी के बाद पूरी दुनिया में सर्वाधिक बोली और समझी जाती है। बाजार ने इस बात को समझा है। इलेक्ट्रानिक्स डिवाइस में भी हिदी बोलने और लिखने के लिए कई विकल्प मिलने लगे हैं। गूगल भी हिंदी को समझता है। बाजार ने भी हिदी के महत्व को समझा है। अब हिदी में काम करना आसान होता जा रहा है। यह हिदी की सफलता ही कही जाएगी।

- डा.राकेश रंजन, पीजी हिदी विभाग, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय


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