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AES : बोले स्वास्थ्य मंत्री- एक-एक बच्चे की जिंदगी महत्वपूर्ण, बचाने की हो रही पूरी कोशिश

सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने एसकेएमसीएच में एईएस पीडि़त बच्चों की स्थिति देखी। कहा गांव-गांव में जागरूकता अभियान को और किया जाएगा तेज। अस्पतालों में बढ़ाई जा रही बेडों की संख्या।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 14 Jun 2019 08:49 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 08:49 PM (IST)
AES : बोले स्वास्थ्य मंत्री- एक-एक बच्चे की जिंदगी महत्वपूर्ण, बचाने की हो रही पूरी कोशिश

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रॉम) से लगातार हो रही बच्चों की मौत के बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने शुक्रवार को हालात का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि एक-एक बच्चे की जिंदगी महत्वपूर्ण है। सरकार लगातार इसकी मॉनीटङ्क्षरग कर रही है। बच्चों को बचाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। जून की शुरुआत से पीडि़तों की संख्या बढ़ी है। इसे देखते हुए अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाई गई है। एसकेएमसीएच की दूसरी आइसीयू में भी अस्थाई पीआइसीयू खोली गई है।

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 सदर अस्पताल में दस बेड बढ़ाए गए हैं। केजरीवाल अस्पताल में भी 27 के अलावा अतिरिक्त 15 बेड की व्यवस्था कराई गई है। पीएचसी में भी इलाज की व्यवस्था की गई है। 15 जूनियर रेजीडेंट काम कर रहे हैं। एसकेएमसीएच में छह एंबुलेंस भेजे जा रहे हैं। 

वायरस के कारण बीमारी से इंकार 

 मंत्री ने कहा कि मामले को लेकर उच्चस्तरीय बैठक की गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवद्र्धन व राज्य मंत्री अश्विनी चौबे को भी सारी जानकारी दी गई है। दो दिन पहले केंद्रीय टीम यहां आई थी। उसकी सलाह पर जागरूकता अभियान तेज किया गया है। गांव-गांव में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी इसमें सहयोग करने की अपील की गई है।

 मंत्री ने वायरस के कारण बीमारी होने की बात से फिर इंकार किया। कहा, कई कारणों से यह बीमारी हो रही। इलाज के लिए जो ट्रीटमेंट ऑफ प्रोटोकॉल तय है, उसके अनुसार ही बच्चों का इलाज किया जा रहा है। 12 जिले इसकी जद में हैं। इनके डीएम को एडवाइजरी प्रधान सचिव स्तर से जारी की जाएगी।

अधिकारियों के साथ की बैठक

 इस वर्ष 22 मई से मरीजों का आना शुरू हुआ। जून के पहले सप्ताह से इसकी संख्या बढ़ गई है। अब तक 57 बच्चों की मौत हुई है। सरकार संवेदनशील है। जो साधन, सुविधा व व्यवस्था की जानी है, सरकार कर रही।

इससे पहले मंत्री ने पीआइसीयू में भर्ती बच्चों को देखा। उनके परिजनों से जानकारी ली। चिकित्सा विभाग के पदाधिकारियों, चिकित्सकों व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ भी बैठक की। उनके साथ स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. कौशल किशोर, निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. आरडी रंजन, डीएम डॉ. आलोक रंजन घोष आदि थे।

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