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अनुच्छेद 370 खत्म होते ही आजादी का एहसास, सालों का गम हो गया पलभर में कम Muzaffarpur News

अनुच्छेद 370 ने छीन लिया था अमन बेघर हो गए थे लोग। अनुच्छेद खत्म होने से आशा डोगरा के परिवार में लौटीं खुशियां आजादी का एहसास।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 09:25 AM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 09:25 AM (IST)
अनुच्छेद 370 खत्म होते ही आजादी का एहसास, सालों का गम हो गया पलभर में कम Muzaffarpur News
अनुच्छेद 370 खत्म होते ही आजादी का एहसास, सालों का गम हो गया पलभर में कम Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, [अमरेन्द्र तिवारी]। देश के बंटवारे के बाद बढ़ रहे आतंक ने कश्मीरी पंडितों के परिवार और उनकी बेटियों को दहशत में जीने को मजबूर कर दिया था। अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद अब हालात बदलेंगे। जुल्मो सितम का दौर खत्म होगा। वादियों में अब बेटियां उड़ान भरेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह कश्मीरी पंडितों के लिए फरिश्ता बनकर आए हैं। इतना कह भावुक हो गईं 86 वर्षीया शोभा डोगरा। कहती हैं-सालों का गम हो गया पलभर में कम।

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उनके चेहरे पर खुशी दिखती है, वहीं पुरानी बातें भी ताजा हो जाती हैं। वे गन्नीपुर इलाके में अपने पुत्र अखिलेश डोगरा, बहू अमीता डोगरा व पौत्र वैभव डोगरा के साथ 1951 से यहां पर रह रही हैं। उनका मानना है कि अब असली आजादी का एहसास हो रहा है।

बर्बादी के मंजर को करीब से देखा...

शोभा डोगरा ने अपने सामने भारत-पाकिस्तान का बंटवारा, भारत-पाक युद्ध, आतंकवादियों का तांडव बहुत करीब से देखा है। वे कहती हैं, जब से पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, उसके बाद से ही अमन खत्म होने लगा। उस समय वे जम्मू में पढ़ती थीं। एक बार अपने घर के बाहर जोरदार धमाके की आवाज सुनीं। बाहर निकलकर देखा तो एक व्यक्ति छटपटा रहा था। पिता चिकित्सक थे, सो उसका फस्र्ट एड किया। भनक लगने पर आतंकवादियों ने उनको भी परेशान किया। बेटियों को वहां से बाहर कर दिया गया। घरवालों ने कहा कि केवल लड़के रहेंगे, लेकिन लड़की बाहर। चंडीगड़, दिल्ली, मुंबई जहां जिसके रिश्तेदार थे, वहां लड़कियों को भेज दिया गया। वे खुद दिल्ली आकर रहने लगीं। उनकी शादी वाराणसी में रहनेवाले कश्मीरी परिवार रायसाहब पंडित कार्तिक प्रसाद डोगरा के पुत्र विद्याधर डोगरा के साथ हुई। वहां के हालात देखकर कितने परिवार वहां से भाग गए। कुछ तो बेघर होकर शरणार्थी शिविरों में अपना जीवन काट रहे।

पाबंदी इतनी कि रहना मुश्किल

अमीता डोगरा कहती हैं कि अनुच्छेद 370 ने तो सबकुछ बर्बाद कर दिया। युवाओं की नौकरी खत्म और व्यवसाय चौपट। विकास की राशि जो मिली उससे जम्मू-कश्मीर का विकास नहीं हुआ। अलगाववादियों और वहां के कुछ खास राजनीतिक परिवार को ही फायदा हुआ। कश्मीरी पंडित तो बर्बाद हो गए।

अखिलेश डोगरा कहते हैं कि जो कश्मीरी परिवार विस्थापित हुए, उनको दोबारा बसाने की कोशिश नहीं की गई। हालत ऐसे रहे कि वहां जिन दलों ने शासन किया उन्होंने लोगों का नहीं, बल्कि अपने परिवार का फायदा देखा। अभी तक बेटी की शादी बाहर हुई तो फिर वह सदा के लिए पराई हो गई। अब ऐसा नहीं होगा।  

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