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पार्ट वन में एडमिशन के इंतजार में खाली रह गई आधी से अधिक सीटें

स्नातक पार्ट वन में नामांकन के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने तीसरी और आखिरी चयन सूची जारी करने के बाद भी तमाम कॉलेजों में संकाय व विषयवार लगभग आधी से अधिक सीटें खाली रह गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 06:00 AM (IST)
पार्ट वन में एडमिशन के इंतजार में खाली रह गई आधी से अधिक सीटें
पार्ट वन में एडमिशन के इंतजार में खाली रह गई आधी से अधिक सीटें

मुजफ्फरपुर। स्नातक पार्ट वन में नामांकन के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने तीसरी और आखिरी चयन सूची जारी करने के बाद भी तमाम कॉलेजों में संकाय व विषयवार लगभग आधी से अधिक सीटें खाली रह गई हैं। लिहाजा, रिक्त सीटों को भरने के लिए बिहार बोर्ड ने फिर से ओएफएसएस पोर्टल पर आवेदन पत्र आमंत्रित किया है। कॉलेजों द्वारा संकाय/विषयवार रिक्त सीटों की जानकारी बोर्ड को दी गई है। उसके हिसाब से बोर्ड ने रिक्तियों का ब्योरा जारी किया है।

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एमडीडीएम की प्राचार्या डॉ. ममता कुमारी बताती हैं कि उनके यहां भी कम से कम 30-35 प्रतिशत अवश्य ही सीटें अभी रिक्त हैं। इस बार ऐसे भी 50 प्रतिशत सीटें बढ़ा दी गई हैं। सीट डेढ़ गुना है। इस प्रकार बढ़ी हुई सीटें अभी भी रिक्त हैं। नीतीश्वर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि साइंस में बहुत कम ही नामांकन हो पाया है। लगभग 20 फीसद ही हुआ होगा। आ‌र्ट्स में 50 फीसद हुआ है। स्पॉट एडमिशन के लिए बच्चे कम ही आ रहे। ऐसे 20 सितंबर तक ऑनलाइन आवेदन लेना है। उसके बाद एडमिशन शुरू होगा। मेरा माना है कि बच्चे अब अधिक रह नहीं गए हैं, जो होंगे भी वे आश्चर्यजनक ढंग से टर्नअप नहीं हो रहे। एलएस कॉलेज के प्राचार्य प्रो. ओपी राय का भी कहना है कि उनके यहां भी काफी सीटें रिक्त रह गई हैं।

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ये हैं कॉलेजों में रिक्तियों के हाल

डॉ. जगन्नाथ मिश्रा कॉलेज में आ‌र्ट्स के एआइएच एंड कल्चर विषय में 82 सीटें हैं, जिसमें महज एक छात्र नामांकन ले पाया है। ललित नारायण तिरहुत कॉलेज में मैथिली में 16 सीटें हैं, सभी खाली रह गई हैं। 131 सीटों वाला दर्शनशास्त्र विभाग का भी यहीं हाल है। लंगट सिंह कॉलेज में 27 सीटों की भोजपुरी के लिए एक भी छात्र नहीं मिल पाया। मैथिली व पर्सियन भी उपेक्षित रह गई। संस्कृत में 55 सीटों के लिए एक छात्र तो उर्दू में 55 के बदले छह छात्र मिल पाए। इलेक्ट्रॉनिक्स साइंस में 83 की जगह तीन छात्र ही मिले हैं। एमपी सिन्हा साइंस कॉलेज में ¨हदी के लिए 40 सीटों पर एक व संस्कृत के लिए भी 14 में से एक छात्र टर्नअप हुआ है। यहां दर्शनशास्त्र की सभी 27 सीटें खाली हैं। उर्दू तो बिल्कुल ही उपेक्षित है। बॉटनी के लिए 41 में से चार छात्र मिले हैं। एमएसकेबी में पर्सियन व दर्शनशास्त्र की सभी 27 सीटें खाली हैं। साइंस में भौतिकी जैसे महत्वपूर्ण विषय के लिए 27 में से दो छात्र मिले हैं। एमडीडीएम में बांग्ला, मैथिली, दर्शनशास्त्र में कोई छात्र नामांकन नहीं ले पाया है। यहां भौतिकी के लिए 141 सीटों में से महज 15 ने दिलचस्पी ली। रसायन व बॉटनी में 141 में क्रमश: 26 व 15, नीतीश्वर महाविद्यालय में एआइएच एंड कल्चर, मैथिली, पर्सियन, दर्शनशास्त्र में सभी 109 सीटें खाली हैं। संस्कृत के लिए 108 व बॉटनी में 55 में एक-एक छात्र मिले। आरबीबीएम में बांग्ला में कोई छात्र नहीं। दर्शनशास्त्र व संस्कृत में 27 में एक, आरडीएस कॉलेज में एआइएच एंड कल्चर, दर्शनशास्त्र, उर्दू में 196 सीटों पर एक भी नामांकन नहीं। संस्कृत में दो छात्र टर्नअप हुए। बॉटनी में 196 में महज 10, रसायन मं 25 का नामांकन हुआ है तो जूलॉजी जिसमें एक भी शिक्षक नहीं हैं, उसमें 196 में 76 सीटें भरी हैं। रामेश्वर में मैथिली के लिए एक भी नामांकन नहीं हुआ। दर्शनशास्त्र, संस्कृत में 65 में दो, कॉमर्स कारपोरेट में 131 में से दो सीटें, बॉटनी में 65 में सात, रसायन में चार, गणित में 22, भौतिकी में 11, जूलॉजी में 16 छात्रों का नामांकन हुआ है। एसएनएस कॉलेज में भी एआइएच एंड कल्चर, मैथिली, पर्सियन, संस्कृत, कंपनी लॉ, मार्केटिंग में कोई छात्र टर्नअप नहीं हो सका है।


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