बिहार चुनाव : इस विधानसभा चुनाव में आधी आबादी की होगी निर्णायक भूमिका, बदलेगी समाज की सूरत
दैनिक जागरण की चौपाल में बोलीं महिलाएं- हमारे वोट कीमती हैं तो हमारी अहमियत को दल समझे। महिला सशक्तिकरण के लिए कई एक्ट तथा कानूनी प्रावधान उपलब्घ कराए गए हैं बावजूद जमीनी हकीकत कुछ और बता रही है।
सीतामढ़ी, [ मुकेश कुमार अमन]। सशक्त लोकतंत्र की पहचान महिलाओं की भूमिका से होती है। बिहार इस मामले में काफी खुशनसीब है कि यहां महिलाओं में वोटिंग के प्रति काफी जागरूकता है और उनकी सक्रियता किसी पार्टी को सत्ता से बेदखल कर देती है। चुनाव और मतदान के प्रति महिला वोटरों का क्या है नजरिया, इस विषय पर दैनिक जागरण की ओर से शनिवार को आयोजित चौपाल में जागरूक महिलाओं ने अपनी राय जाहिर की। यह कार्यक्रम दैनिक जागरण के फेसबुक पेज पर सीधा प्रसारित हुआ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के महासंग्राम में सभी दलों ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। क्या है यहां की आधी आबादी की राय इस विषय पर बोलने के लिए अखिल भारतीय रौनियार वैश्य महासभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरण गुप्ता, मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान से जुड़ीं शाहिन परवीन, समाजसेविका व नेहरू युवा केंद्र से जुड़ी स्वाति मिश्रा, शिक्षिका उषा शर्मा व जानकी शक्ति महिला मंच की जिलाध्यक्ष नीरा गुप्ता शरीक हुईं। आम राय यही रही कि चुनाव में महिला मतदाताओं की बड़ी भूमिका होती है। बेशक, उनकी भागीदारी राजनीति में बढ़ी है। मगर, अब भी उनके लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। दहेज उन्मूलन व शराबबंदी से महिलाएं काफी खुश हैं। बेटिया पढ़ेंगी, बेटिया बढ़ेंगी अभियान ने उनको और सशक्त बनाया है। महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव जरूरी है। महिला सशक्तिकरण के लिए कई एक्ट तथा कानूनी प्रावधान उपलब्घ कराए गए हैं बावजूद जमीनी हकीकत कुछ और बता रही है।
समाजसेविका व नेहरू युवा केंद्र की सक्रिय सदस्य स्वाति मिश्रा ने कहा कि महिलाओं के मन में वोटिंग के प्रति काफी दिलचस्पी है। उनके मुताबिक, जब सारे काम कोरोन के दौर में हो सकते हैं तो फिर मतदान के लिए बूथों तक पहुंचने से परहेज क्यों। चाहे बात पिछले साल लोकसभा चुनाव की हो या विधानसभा चुनाव की. पुरुषों के मुकाबले महिला वोटरों ने ज्यादा वोटिंग की. कहीं-कहीं तो मतदान केन्द्रों के बाहर महिलाओं की देर शाम तक लंबी लाइन देखी गई।
अखिल भारतीय रौनियार वैश्य महासभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरण गुप्ता कहती हैं कि आधी आबादी को संसदीय राजनीति में भागीदारी देने के लिए बड़ी-बड़ी बातें होती हैं. लेकिन क्या इस दिशा में जमीनी कोशिश हो रही है इस बात का मलाल जरूर है। हम महिला वोटर खासा भूमिका के साथ चुनाव की सूरत भी बदलेंगी। महिलाओं के लिए हर स्थान पर सपोर्ट सिस्टम सहजता से उपलब्ध हो।
आधी आबादी की मुख्य मांगें :
-निर्णय के साथ सत्ता में भागीदारी मिले, सिर्फ वोट बैंक न समझा जाए।
-पितृसत्तात्मक व्यवस्था को बराबरी की मानसिकता में लाने के प्रयास हो।
-महिला विकास की नीतियों को जमीन पर लाने के सार्थक प्रयास हों।
-कार्यस्थल पर उसकी भागीदारी में बढ़ोतरी के साकारात्मक प्रयास हो।
-महिलाओं के लिए हर स्थान पर सपोर्ट सिस्टम सहजता से उपलब्ध हो।
-सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था हो, महिलाओं के लिए वर्किंग वुमन हॉस्टल्स हो।
-हर सार्वजनिक और कार्यस्थल के आसपास उसके बैठने, ठहरने की सुरक्षित जगह हो।
-जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर महिलाओं के व्यवसाय के लिए मार्केट विकसित हो।
-घरेलू ङ्क्षहसा पर लगाम लगे और पुरुष मानसिकता बदलने की गंभीर कोशिश हो।
-स्कूली पढ़ाई के स्तर पर ही महिलाओं के अधिकार, बराबरी और निर्णय की बात की जाए।