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'एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्राम' से कई मासूमों की मौत से हड़कंप, सरकार अलर्ट

नगर विकास व आवास मंत्री ने एसकेएमसीएच में लिया जायजा। मुख्य सचिव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से की बचाव कार्य की समीक्षा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 11 Jun 2019 12:14 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jun 2019 10:50 PM (IST)
'एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्राम' से कई मासूमों की मौत से हड़कंप, सरकार अलर्ट
'एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्राम' से कई मासूमों की मौत से हड़कंप, सरकार अलर्ट

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्राम) से बच्चों की मौत की संख्या लगातार बढऩे से हड़कंप मच गया है। वहीं बीमारी से बचाव के लिए सरकार अलर्ट हो गई है। सोमवार को नगर विकास व आवास मंत्री ने एसकेएमसीएच का जायजा लिया। वहीं मुख्य सचिव दीपक कुमार व स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बीमारी की रोकथाम के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग से पदाधिकारियों को निर्देश दिए।

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 नगर विकास मंत्री ने चिकित्सकों से कहा कि किसी तरह की समस्या हो तो इसकी जानकारी दें। उसे सरकार तक पहुंचाया जाएगा। मासूमों को बचाने के लिए सारे प्रयास किए जाएंगे। मंत्री के साथ विधायक केदार गुप्ता, बेबी कुमारी, एमडीडीएम की प्राचार्य डॉ. ममता रानी भी एसकेएमसीएच पहुंचीं।

जागरूकता पर करें फोकस 

मुख्यमंत्री ने प्रभारी डीएम को निर्देश दिया कि जिले में बीमारी से बचाने के लिए जागरूकता अभियान पर फोकस करें। लोगों को ये बताएं कि बच्चों को रात में बिना खाए नहीं सोने दें। कुछ मीठा जरूर खिलाएं। वहीं बीमारी का लक्षण दिखते ही तुरंत स्वास्थ्य केंद्रों पर लाएं। प्रधान सचिव ने सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि जिले के सभी पीएचसी में दो-दो एंबुलेंस तैयार रखें। वहीं सभी केंद्रों में इलाज की भी व्यवस्था रहे। 24 घंटे वहां चिकित्सक व पारा मेडिकल कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित कराने को भी कहा गया है।

एईएस को लेकर जागरूकता अभियान चलाएगा विभाग

इन दिनों बच्चों पर कहर बनकर टूटी एईएस को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह हरकत में आ गया है। सोमवार को जिले के सभी एमओआइसी के साथ बैठक कर सिविल सर्जन डॉ.एसके सिंह ने कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने बीमारी को लेकर प्रभावित इलाकों में गहन जागरूकता अभियान चलाए जाने पर जोर दिया। कहा कि इस कार्य में आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने किसी बच्चे में बीमारी के लक्षण पाए जाने पर बिना देर किए इलाज शुरू करने की जरूरत बताई। बैठक में जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ.सतीश कुमार सहित कई लोग मौजूद थे।

अब टीका करेगा डायरिया से बचाव

अब डायरिया होने पर बच्चों के माता-पिता अथवा उनके अभिभावकों को सोचने की जरूरत नहीं होगी। जल्द ही स्वास्थ्य विभाग इसके लिए टीके का प्रावधान करने जा रहा है। बच्चों को पोलियो ड्रॉप की तरह रोटा वायरस वैक्सिन की तीन खुराक दी जाएगी। पहला टीका बच्चे के जन्म के छह सप्ताह पर, दूसरा दस सप्ताह और तीसरा 14वें सप्ताह में दिया जाएगा। जो डायरिया जैसी बीमारी से उनका बचाव करेगा। निश्चय ही अगले माह के पहले सप्ताह में इसकी शुुरुआत हो जाएगी। सोमवार को जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय परिसर में जिले के सभी चिकित्सा पदाधिकारियों को इसका प्रशिक्षण दिया गया। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ.आरपी सिंह और जिला स्तरीय प्रशिक्षक डॉ.शंभू कुमार ने उन्हें प्रशिक्षण दिया। बताया कि डोर-टू-डोर जाकर टीके दिए जाएंगे।

डायरिया पखवारा 14 जून से 

स्वास्थ्य विभाग 14 जून से डायरिया पखवारा शुरू करने जा रहा है। सोमवार को हुई बैठक में सिविल सर्जन ने सभी चिकित्सा पदाधिकारियों को खास निर्देश दिए। इसमें घर-घर जाकर बच्चों को ओआरएस और जिंक की गोली दी जाएगी। मलिन बस्तियों में सफाई से संबंधित जागरूकता अभियान भी चलेगा।

जब प्रचार-प्रसार में ही लापरवाही तो कैसे बचेंगे नौनिहाल

एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रॉम) से 40 से अधिक बच्चों की मौत के बाद प्रशासन गंभीर हो गया है। सोमवार को आयुक्त नर्मदेश्वर लाल ने प्रभारी डीएम उज्ज्वल कुमार सिंह व स्वास्थ्य पदाधिकारियों के साथ कार्यालय में बैठक कर इलाज व बचाव की समीक्षा की। इसमें बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए चलाए जाने वाले प्रचार-प्रसार अभियान में लापरवाही सामने आई। आयुक्त ने सभी चिह्नित इलाके में बीमारी से प्रचार-प्रसार के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा। वहीं पीडि़त बच्चों को जल्द से जल्द स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं।

 आयुक्त ने जानना चाहा कि पिछले कई वर्षों से बरसात के पूर्व इस तरह की बीमारी जिले में होती है। इसकी रोकथाम के लिए प्रचार-प्रसार की क्या व्यवस्था की गई? सिविल सर्जन डॉ. शैलेश कुमार सिंह ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों, आशा एवं एएनएम को प्रशिक्षित किया गया है। इन केंद्रों पर आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

बीमारी में चीनी की हो जाती कमी

चिकित्सकों ने बताया कि बीमारी में बच्चों के शरीर में चीनी की बेहद कमी हो जाती है। बच्चे समय पर खाना नहीं खाते हैं तो भी शरीर में चीनी की कमी होने लगती है। जब तक पता चले, देर हो जाती है। इससे रोगी की स्थिति बिगड़ जाती है।

समय से पहुंचाएं स्वास्थ्य केंद्र तो बच सकती जिंदगी 

सिविल सर्जन ने कहा कि सभी स्वास्थ्य केंद्रों व उप केंद्रों पर भी चिकित्सक एवं उपचार की व्यवस्था की गई है। अगर पीडि़त बच्चे को समय से पहुंचाया जाए तो उसे बचाया जा सकता है। आयुक्त ने प्रशासनिक अधिकारियों को कहा कि सभी मुखिया एवं जन वितरण प्रणाली की दुकान के विक्रेताओं से भी पीडि़त बच्चों को अस्पताल तक पहुंचाने में मदद करने को कहें। उन्होंने अपील भी की कि बच्चों को गर्मी से बचाएं। चमकी व बुखार के लक्षण देखते ही निकट के अस्पतालों में पहुंचाएं। जिला प्रशासन भी नियमित प्रचार-प्रसार कराने के लिए आवश्यक कदम उठाए।

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