सबको एक समान शिक्षा देना ही शिक्षकों का मजहब, होते समाज के भविष्य निर्माता
नआइओएस द्वारा संचालित डीएलएड छात्रों द्वारा सम्मान समारोह का किया गया आयोजन, समाज के सम्मानित व्यक्ति होते शिक्षक।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शिक्षकों का कोई मजहब नहीं होता। सबको एक समान मानना और शिक्षा देना ही उनका मजहब है। आबेदा हाईस्कूल में एनआइओएस द्वारा संचालित डीएलएड छात्रों द्वारा आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें प्राचार्य सज्जाद सिद्दीकी ने कहीं। शिक्षक एसएम शकील चिश्ती ने जब 'लाखों सदमे ढेरों गम, फिर भी नहीं हैं आंखें नम..सुनाई तो हॉल तालियों से गूंज उठा। इरफान आलम ने शिक्षक को शिक्षा, क्षमा और करुणा का रूप कहा। उन्होंने 'आदमी मुसाफिर है... सुना कर वाहवाही लूटी।
फरहान कौसर ने शिक्षकों को समाज का भविष्य निर्माता बताया। डॉ. निरंजन चौधरी ने शिक्षकों को समाज का सम्मानित व्यक्ति बताया। रामकुमार सिंह ने गुरु-शिष्य परंपरा पर रोशनी डाली। अनिल कुमार ने शिक्षकों के समाज के लिए दायित्व पर रोशनी डाली। एचए रब्बानी ने कहा, शिक्षक समाज के दर्पण हैं। वक्ताओं ने कहा कि शिक्षकों के द्वारा बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा अब काफी अहम हो गई है।
बदलते समय में शिक्षकों का रोल महत्वपूर्ण हो चुका है। शिक्षक अपने दायित्वों का निर्वाहण बेहतर ढंग से कर रहे है। विद्यालयों में शिक्षक बच्चों में शिक्षा का वह ज्ञान भरते है जो समाज व देश का नाम रोशन करते है। वही अपनी प्रतिभा के बल पर देश के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों को हासिल भी करते है। मौके पर अकील अहमद, सरवर अली, मो. शमीम व असूद अली तकवी थे। नेहा, रोमा, अनु गूंजा, नीतू, मनोज, नूर अहमद, कुंदन, सैयदा परवेज, सुप्रिया, ममता, अरुण, सलोनी, नीरज, मुसर्रत जहां, मो. आलम, पल्लवी व आरबी पटेल आदि ने प्रस्तुति से मन मोह लिया। संचालन सरदार कुलदीप सिंह ने किया।