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खेलकूद से नाम रोशन कर रही 'गांव की बेटी', किसान पिता के काम में भी बंटाती हाथ

सीतामढ़ी की बेटी गायत्री ने कबड्डी में जिला, राज्य और अब देश स्तर पर बनाया मुकाम। राष्ट्रीय स्तर पर मुकाम बनाने के बाद भी खेती के काम में पिता का बंटाती हैं हाथ।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 11:11 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 10:20 AM (IST)
खेलकूद से नाम रोशन कर रही 'गांव की बेटी', किसान पिता के काम में भी बंटाती हाथ

सीतामढ़ी, [नीरज]। 'गांव की बेटी' सुनते ही एक ऐसी लड़की की तस्वीर सामने आती है जो घर के कामों में हमेशा उलझी रहती है। थोड़ा समय निकालकर स्कूल जाती है और वहां से लौटकर फिर काम में ही उलझ जाती है। सीतामढ़ी की गायत्री ने गांव की बेटी की इस पहचान को बदला है। उन्होंने खेलकूद में अपना कॅरियर बनाने का निश्चय किया और राष्ट्रीय स्तर पर मुकाम बनाने में सफल रहीं।

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 डुमरा प्रखंड के रामपुर परोड़ी पूर्वी निवासी पान विक्रेता व किसान श्रीनारायण साह की बेटी गायत्री मिसाल बन गई हैं। उनसे प्रेरित होकर कई लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं और कई खेल में अपना भविष्य संवारने की योजना बना रही हैं।

 कमला गल्र्स प्लस टू स्कूल में इंटर की छात्रा गायत्री जिला, राज्य और देश स्तर पर कई मेडल जीत चुकी हैं। तीन साल में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है। बावजूद इसके वह पिता के साथ खेती में भी हाथ बंटाती हैं। छह भाई-बहनों में गायत्री 5 वें स्थान पर है। वर्ष 2017 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। शुरू से वह कबड्डी खेलना चाहती थीं। स्कूल में दाखिले के बाद उनके हुनर में निखार आया और इसे दिखाने के लिए बेहतर मंच भी मिला।

 जिला कबड्डी संघ के सचिव पंकज कुमार सिंह ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। उन्होंने कबड्डी का प्रशिक्षण देना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने जिला स्तर पर दर्जनों मेडल अपने नाम किए। वर्ष 2016 में मधेपुरा में आयोजित राज्यस्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में जिला टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए सूबे में अव्वल स्थान प्राप्त किया। वर्ष 2017 में हाजीपुर में आयोजित महिला महोत्सव में भी जिला टीम का प्रतिनिधित्व किया।

 18 से 20 नवंबर 2017 तक मधुबनी में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गायत्री ने जिला टीम का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2018 में पटना में आयोजित राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में जिले का प्रतिनिधित्व करते हुए जीत दर्ज की और टीम को बिहार में दूसरा स्थान दिलाया।

 दिसंबर 2018 में आयोजित गोल्ड कप प्रतियोगिता में भी जीत दर्ज की। बतौर कैप्टन उसने जीत दर्ज की। फिलहाल वह कोलकाता में फरवरी में होने वाली नेशनल प्रतियोगिता की तैयारी कर रही हैं। हाल ही में बिहार कबड्डी एसोसिएशन की ओर से पटना के पाटलीपुत्र स्पोट््र्स कांप्लेक्स में आयोजित कैंप से टिप्स लेकर लौटी हैं।

खेल के साथ शिक्षा और खेती

16 वर्ष की छोटी सी उम्र में गायत्री ने कबड्डी में कई कीर्तिमान बनाए, लेकिन शिक्षा से समझौता नहीं किया। पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहीं। पुश्तैनी जमीन पर खेती में भी पिता का हाथ बंटाती हैं। इसमें परिवार का सहयोग मिल रहा है। गायत्री चार बहनों में सबसे छोटी हैं। बड़ी बहनें बेबी, गुड्डी, जूही और पूजा सभी सहयोग करती हैं।

इरादे हैं मजबूत

 गायत्री कबड्डी में देश स्तर पर मेडल प्राप्त करना चाहती है। बताती हैं कि कबड्डी संघ के सचिव के सहयोग से वह यहां तक पहुंची हैं। गायत्री के पिता श्रीनारायण साह कहते हैं कि मैं कम पढ़ा-लिखा हूं, लेकिन शिक्षा का महत्व समझता हूं। यही वजह है कि पान बेच कर भी बेटियों को पढ़ाया है।

 इस बाबत जिला कबड्डी संघ के सचिव पंकज कुमार ङ्क्षसह ने कहा कि सीतामढ़ी ने देश स्तर पर बालक और बालिका दोनों वर्ग में सैकड़ों खिलाड़ी दिए हैं। गायत्री इसी कड़ी की एक होनहार खिलाड़ी है। आने वाले समय में वह जरूर कीर्तिमान बनाएगी।


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