बोधि आश्रम में मना गणेशोत्सव
गणेश चतुर्थी पर शहर में जगह-जगह गणेश उत्सव मनाया गया।
मुजफ्फरपुर। गणेश चतुर्थी पर शहर में जगह-जगह गणेश उत्सव मनाया गया। 'गणपति बप्पा मोरया' के उद्घोष से वातावरण गूंज उठा। रसूलपुर जिलानी स्थित बोधि आश्रम में गणेश उत्सव में पान के पत्ते पर गणेश प्रतिमा स्थापित की गई। दूब, रंगबिरंगे फूल, बेलपत्र आदि से पूजा की गई। 56 भोग लगे। भगवान गणेश को 108 हरे दूब की माला पहनाई गई। गुरु मा डॉ. बोधि कश्यप ने बताया कि गणेश चतुर्थी के दिन गणेश पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन 21 हरे दूब से गणेशजी की पूजा करने से पूरे वर्ष किसी भी तरह का विघ्न नहीं आता। कुंवारी कन्याओं को इस दिन हल्दी से गणेशजी की प्रतिमा बनाकर दूब, पान व लड्डू से पूजा करनी चाहिए। इससे उनकी शादी में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
गुरु डॉ. प्रभात कश्यप ने कहा कि गणपति प्रथम पूज्य देव हैं। इनकी पूजा अत्यंत ही सरल है। बोधि आश्रम में विगत 21 वर्षो से गणेशोत्सव का आयोजन होता आ रहा है। घटा, चंवर, शख, चक्र और गदा, इन पाचों पवित्र चीजों से गणपति की पूजा की जाती है। बोधि मा ने बताया कि पूजा में शख ध्वनि करने से अदृश्य बुरी शक्तियों का नाश होता है। प्रकृति की ईश्वरीय शक्तिया जागृत होती हैं। चक्र की पूजा करने से मानव के अंदर अवस्थित कुंडलियों के सभी आठों चक्रों पर ऊर्जा जाग्रत होती हैं। गणपति प्रतिमा के साथ गदा की पूजा करने से मानव को आंतरिक बल मिलता है। चंवर की पूजा करने से मन, आत्मा, मस्तिष्क व पूरे शरीर में शीतलता का संचार होता है। संध्या सात बजे से पूजा शुरू हुई, जो देर रात तक चलती रही। इस अवसर पर भाद्रपद अमावस्या की रात सृष्टि महापर्व पर शुरू हुए हवन यज्ञ की भी पूर्णाहुति हुई। अंत में बोधि मा ने बताया कि 'ओम गं गणपतये विघ्ननाशये नम:' मंत्र हर स्त्री व पुरुष को अपनी सास क्रिया से निरंतर जप करते रहना चाहिए। इस अवसर पर शहर के कई गणमान्य मौजूद रहे।