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हर रविवार मरीजों को निशुल्क भोजन, जानिए कहां से हासिल की प्रेरणा Muzaffarpur News

भोजन बनाने से खिलाने तक की जिम्मेवारी निभा रहीं तीन महिलाएं। तमिलनाडु के अम्मा कैंटीन से प्रेरित होकर दो साल पहले हास्पिटल में शुरू किया कार्यक्रम।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 02:56 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 02:56 PM (IST)
हर रविवार मरीजों को निशुल्क भोजन, जानिए कहां से हासिल की प्रेरणा  Muzaffarpur News
हर रविवार मरीजों को निशुल्क भोजन, जानिए कहां से हासिल की प्रेरणा Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर,[प्रमोद कुमार]। आई हास्पिटल में गरीब मरीज और उनके तीमारदार भूखे न रहें, इसके लिए बीते दो साल से निशुल्क भोजन अभियान चलाया जा रहा रहा है। प्रत्येक रविवार हास्पिटल के पांच सौ से अधिक मरीजों एवं उनके तीमारदार स्वजनों को निशुल्क भोजन दिया जाता है।

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खर्च अस्पताल ट्रस्ट का


इस पर आने वाला मासिक औसतन 20 हजार रुपये का खर्च अस्पताल ट्रस्ट वहन करता है और इसे मुकाम तक पहुंचाने का काम कुसुम चाचान, उर्मिला बंका एवं उर्मिला मोदी कर रही हैं। वे भोजन तैयार करने से लेकर खिलाने तक का काम करती हैं। उनका साथ अर्चना बंका एवं डॉ. प्रियंवदा दास समेत कई अन्य महिलाएं देती हैं। प्रत्येक रविवार अस्पताल परिसर में चावल, दाल एवं सब्जी पकाई जाती है। फिर मरीजों एवं उनके स्वजनों को परोसा जाता है।

अम्मा कैंटीन से प्रेरित होकर शुरू किया अभियान

दो साल पूर्व आई हास्पिटल में आयोजित एक कार्यक्रम में तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त एवं हास्पिटल मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष केपी रमैया आए थे। उन्होंने तमिलनाडु के अम्मा कैंटीन की तरह मरीजों के लिए भोजन की व्यवस्था की सलाह दी। उनकी सलाह अस्पताल की प्रबंधन समिति में शामिल उक्त तीन महिलाओं को पसंद आई। उसके बाद प्रत्येक रविवार को हास्पिटल में निशुल्क भोजन शुरू किया। यह क्रम अभी तक बिना किसी बाधा के जारी है। 

मरीजों के लिए वरदान

इस सुविधा का उठा रहे मरीज एवं मीनापुर गांव निवासी राजेंद्र ठाकुर बताते हैं कि रविवार को निशुल्क मिलने वाला भोजन गरीब मरीजों के लिए वरदान है। वहीं प्रबंधन समिति कुसुम चाचान कहतीं हैं कि मरीजों एवं उनके स्वजनों को निशुल्क भोजन कराकर सुख की अनुभूति होती है। ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष राम कुमार केडिया ने कहा कि दो साल से अस्पताल में तीनों महिलाओं के सहयोग से निशुल्क भोजन कराने का काम चल रहा है। इसमें सहयोग करने वाली अन्य महिलाएं भी धन्यवाद की पात्र हैं।


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