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चिंताजनक : चेहरे के कालाजार का बढ़ा प्रकोप, 42 मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग में खलबली

पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस नामक बीमारी से पीडि़त टॉप टेन जिलों में मुजफ्फरपुर भी, 90 फीसद कालाजार से पीडि़त मरीजों में पीकेडीएल होने की आशंका।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 03:46 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 03:46 PM (IST)
चिंताजनक : चेहरे के कालाजार का बढ़ा प्रकोप, 42 मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग में खलबली
चिंताजनक : चेहरे के कालाजार का बढ़ा प्रकोप, 42 मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग में खलबली

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कालाजार उन्मूलन की राह में पीकेडीएल (चेहरे का कालाजार) एक बड़ी बाधा है। इसकी संक्रामकता तेजी से फैलती है। जिले में 42 मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग में खलबली है। प्रखंडों में व्यापक अभियान चलाकर मरीजों की पहचान और इलाज की व्यवस्था कराई जा रही। साथ ही, छिड़काव के साथ जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा। सामान्य कालाजार का संक्रमण मादा बालू मक्खी के जरिए फैलता है।

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    ये मक्खियां अपेक्षाकृत ज्यादा नमी, गर्म, भूतल पर पाए जानेवाले पानी और सघन वनस्पति क्षेत्रों में तेजी से पनपती हैं। बाढग़्रस्त इलाकों में मौजूद कच्चे मकान इनके प्रजनन के लिए अनुकूल होते हैं। चिकित्सक कहते हैं कि कालाजार से पीडि़त 90 फीसद मरीजों को पीकेडीएल होने की आशंका रहती है।

ऐसे समझें पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस

पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) वह स्थिति है, जिसमें लीशमानिया डोनोवानी नामक परजीवी त्वचा की कोशिकाओं में पहुंच जाता। यह त्वचा में रहता है और विकसित होता है। धीरे-धीरे त्वचीय घाव के रूप में दिखने लगता। मेडिकल एक्सपर्ट बताते हैं कि आमतौर पर कालाजार से पीडि़त कुछ रोगियों में एक से दो वर्ष के अंतराल में पीकेडीएल विकसित होने की आशंका बनी रहती।

   कालाजार मेडिकल रिसर्च सेंटर के शोध वैज्ञानिक डॉ. धीरज कुमार ने बताया कि कालाजार के जीवाणु त्वचा में आ जाते हैं। इससे वहां धब्बा विकसित होता है। यह आगे चलकर गांठ में तब्दील हो सकता है। दाग चेहरे से शुरू होकर विभिन्न अंगों यानी हाथ-पांव आदि पर फैल जाता है। इसकी संक्रामकता दिन-प्रतिदिन फैलती जाती है। इसमें खुजली या जलन नहीं होती। समय पर इलाज नहीं होने से त्वचा बदरंग हो जाती हैै।

दस टॉप जिलों में मुजफ्फरपुर भी शामिल

कालाजार से सर्वाधिक प्रभावित 10 जिलों में मुजफ्फरपुर का स्थान है। इसमें अररिया, पूर्वी चंपारण, मधेपुरा, पूर्णिया, सहरसा, समस्तीपुर, सारण, सीतामढ़ी और वैशाली भी शामिल हैं।

प्रखंडवार पीकेडीएल मरीजों की संख्या

बंदरा, मुरौल व गायघाट में 1-1, बोचहां, कांटी व सकरा में 2-2, कटरा, सरैया व साहेबगंज में 4-4, मीनापुर में 5, मोतीपुर व पारू में 8-8 मरीज है।

मरीजों की पहचान व इलाज के प्रति विभाग गंभीर

वेक्टर जनित रोग निवारण पदाधिकारी डॉ. सतीश कुमार ने कहा कि कालाजार उन्मूलन के लिए छिड़काव, जागरूकता और रिसर्च चल रहा। पीकेडीएल के मरीजों की पहचान व इलाज के प्रति विभाग गंभीर है। लोगों से अपील है कि इसका लक्षण मिले तो सरकारी अस्पतालों में संपर्क करें।

    कालाजार रिसर्च सेंटर के संचालक अनिल शर्मा ने कहा कि कालाजार का उन्मूलन करना है तो पीकेडीएल की खोज व इलाज होना चाहिए। सेंटर पर आधुनिक उपकरण से जांच और इलाज की सुविधा मिल रही। महीने में आठ से दस मरीज यहां अलग-अलग जगहों से आ रहे। उनका संपूर्ण इलाज किया जा रहा।


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