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उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ सम्पन्न

सूर्योदय के पूर्व व्रतियों ने सूप में रखे प्रसाद को अपनी झोली में लेकर फिर से नदी किनारे गई और नदी में कमर तक पानी में खड़ी होकर सूर्य के उदय होने का इंतजार किया।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 11:44 AM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 11:44 AM (IST)
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ सम्पन्न

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ का समापन शुक्रवार को हो गया। सूर्योदय के पूर्व व्रती महिलाएं सूप में रखे प्रसाद को अपनी झोली में लेकर फिर से नदी किनारे गई और नदी में कमर तक पानी में खड़ी होकर सूर्य के उदय होने का इंतजार किया। सूर्य की पहली किरण नजर आने पर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया। पूजा के बाद व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण कर पारण किया। व्रतियों ने घाट पर लोगों को प्रसाद भी दिया। महापर्व को लेकर छठ घाटों को सुंदर तरीके से सजाया गया था।

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महापर्व पर 'काचहि बास के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय, 'कइली बरतिया तोहार हे छठी मइया, केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेडऱाय' गीतों से शहर गुंजायमान रहा। महापर्व के तीसरे दिन गुरुवार को व्रतियों ने संध्या समय सगे-संबंधियों संग डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इसके पूर्व व्रती महिलाएं अपने परिवार के सदस्यों के साथ अर्घ्य की सामग्री के साथ घाट पर पहुंचीं। इसके बाद प्रसाद का सूप व जल लेकर नदी के पानी में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। 

कई व्रतियों ने अपने घर के आंगन में कृत्रिम घाट बनाकर तो कई लोगों ने शहर के विभिन्न पोखर व तालाबों के किनारे बने छठ घाटों पर अर्घ्य दिया। पर्व को लेकर बूढ़ी गंडक के आश्रम घाट, लकड़ीढाई घाट, अखाड़ाघाट, सिकंदरपुर स्थित सीढ़ी घाट, नाजीरपुर घाट, शेखपुर ढाब, दादर घाट व संगम घाट सहित साहु पोखर, रामदयालु पोखर आदि छठ घाटों की सुंदरता देखते ही बन रही थी। प्रशासन की ओर से घाटों पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे। घाटों पर रोशनी का समुचित प्रबंध किया गया था। 

भरा गया कोसी, विधिपूर्वक की गई पूजा

महापर्व के दौरान तीसरे दिन गुरुवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य् देने के बाद संध्या पहर छठ व्रतियों ने घर पर कोसी भरा। इस दौरान परिवार के महिला सदस्यों ने छठ गीत गाए। कोसी की विधिपूर्वक पूजा की गई। दीप जलाएं गए। इसके बाद शुक्रवार की अहले सुबह घाटों पर भी कोसी भरा गया। पूजा को लेकर व्रतियों के अलावा परिवार के सदस्यों में काफी उत्साह रहा। 


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