मुजफ्फरपुर में पूर्व अंचलाधिकारी ने फूंक दिए सरकारी अभिलेख
तबादले के बाद हजार अभिलेख साथ भी लेते गए, साहेबगंज के पूर्व व घोड़ासाहन के वर्तमान सीओ की कारस्तानी की डीएम को रिपोर्ट।
मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। मुजफ्फरपुर जिले में साहेबगंज के पूर्व अंचलाधिकारी अनिल कुमार श्रीवास्तव पर सरकारी अभिलेखों को जलाने व तबादले के बाद उसे साथ ले जाने का मामला सामने आया है। डीसीएलआर पश्चिमी सुरेंद्र कुमार अलबेला की गोपनीय रिपोर्ट से यह मामला सामने आया है। डीएम मो. सोहैल को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व सीओ तबादले के बाद लगभग एक हजार अभिलेख साथ लेते गए। वहीं कई को आवास में ही जला दिया। इस मामले में अंचल के प्रधान सहायक व अंचल कार्यालय की संलिप्तता की भी बात कही गई है। पूर्व सीओ के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।
जांच में पकड़ी गई बड़ी गड़बड़ी
डीएम की गोपनीय प्रशाखा से मिले निर्देश पर डीसीएलआर ने दाखिल-खारिज के कुछ मामलों की जांच की। जांच के दौरान महज 16 दाखिल-खारिज के अभिलेख मिले। पूछे जाने पर प्रधान सहायक ने बताया कि तबादले के बाद तत्कालीन सीओ अपने साथ छह सौ से एक हजार दाखिल-खारिज के अभिलेख लेते गए हैं। कई अभिलेखों को उन्होंने आवास पर ही जला दिया था। इस कारण ये कार्यालय में नहीं मिल रहे।
प्रभार देने के बाद भी जारी किए आदेश
पूर्व सीओ ने तबादले के बाद इस वर्ष 14 जुलाई को प्रभार दे दिया। मगर, जांच में यह बात भी सामने आई कि उन्होंने 28 जुलाई को भी दाखिल-खारिज के अभिलेख को स्वीकृत किया। प्रभार देकर चले जाने के बाद भी आदेश जारी करने को डीसीएलआर ने आपराधिक कृत्य माना है। वहीं पूरे मामले में प्रधान सहायक व अंचल कार्यालय की संलिप्तता से भी इन्कार नहीं किया।
कर्मचारी की जगह रिश्तेदार से करवाते थे कार्यालय कार्य
मामले की जांच के दौरान चौकीदार संजय कुमार ने बताया कि उस समय वह दाखिल-खारिज का कार्य नहीं करता था। तब भगवानपुर का प्रभात कुमार नामक व्यक्ति के जिम्मे यह काम था। प्रभात पूर्व सीओ का रिश्तेदार है। वर्तमान सीओ भी नहीं दे रहे रिपोर्ट गायब अभिलेख को लेकर वर्तमान सीओ से अक्टूबर में रिपोर्ट मांगी गई थी। मगर, यह अब भी अप्राप्त है। इसे देखते हुए वर्तमान सीओ से स्पष्टीकरण मांगने की अनुशंसा की गई है।
इस बावत साहेबगंज के तत्कालीन सीओ अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि यह मेरे खिलाफ साजिश है। अभिलेख का कस्टोडियन प्रधान सहायक होते हैं। अगर अभिलेख मैं साथ लाता तो इसकी जानकारी वरीय अधिकारियों को क्यों नहीं दी गई। मेरे वहां से जाने के बाद क्या हुआ इसका जिम्मेदार मैं कैसे हो सकता हूं।