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Muzaffarpur: डाक विभाग में फर्जीवाड़े के कारण 2 वर्षों से बहाली नहीं, 300 पद खाली; 2013 में भी आए थे 65 मामले

Forged Marksheet Applicants in Postal Department Recruitment दो वर्षों से लगातार फर्जीवाड़े की वजह से ग्रामीण डाक सेवक के पदों पर बहाली नहीं हो पा रही है। जिले में इस समय 300 से अधिक पद खाली हैं। 2013 में भी सीबीआइ ने 65 फर्जीवाड़े के मामले पकड़े थे।

By Gopal TiwariEdited By: Ashish PandeyPublished: Thu, 23 Mar 2023 01:42 PM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2023 01:42 PM (IST)
डाक विभाग में फर्जीवाड़े के कारण दो वर्षों से 300 पद खाली, 10 साल पहले आए थे 65 फर्जी मामले।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर: डाक विभाग में फर्जीवाड़े का मामला कोई नई बात नहीं है। इसमें फर्जीवाड़े का लंबा इतिहास बनता जा रहा है। सीबीआइ कोर्ट में भी ऐसे मामलों की मोटी फाइल है। 2013 में भी सीबीआइ ने 65 फर्जीवाड़े के मामले पकड़े थे। इसमें भ्रष्टाचार के आरोप में कई लोग बर्खास्त हो गए और कई लोगों पर सीबीआइ द्वारा आरोपपत्र भी दायर किया जा चुका है, लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आया। डाक विभाग में इस तरह का खेल दो दशकों से अधिक से चल रहा है।

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फर्जीवाड़े के कारण 2 वर्षों से बहाली नहीं, 300 पद खाली

दो वर्षों से लगातार फर्जीवाड़े की वजह से ग्रामीण डाक सेवक के पदों पर बहाली नहीं हो पा रही है। डाककर्मी रिटायर हो रहे हैं, लेकिन नई बहाली नहीं होने से जिले में इस समय 300 से अधिक पद खाली हैं। डाककर्मियों पर काम का ओवरलोड है। एक कर्मी से कई विभागों का काम लिया जा रहा है। इस वजह से उपभोक्ताओं का काम समय से और ठीक से नहीं हो पा रहा है।

फर्जी मार्कशीट वाले जमकर करते हैं आवेदन

प्रदेश में डाक विभाग की भर्तियों को फर्जी मार्कशीट के खिलाड़ी वर्षों से लटकाते आ रहे हैं। इनकी वजह से जहां पात्र अभ्यर्थी अवसर से वंचित हो जाते हैं, वहीं विभाग में करीब 40 फीसद तक पद खाली रह जाते हैं। स्थिति यह है कि डाकघर में जब भी भर्ती निकलती है, फर्जी मार्कशीट वाले जमकर आवेदन करते हैं। हालांकि, यह स्थिति केवल इस जिले, उत्तर बिहार या इस राज्य की नहीं है। फर्जीवाड़े का यह खेल पूरे देश में चल रहा है।

अभ्यर्थियों की सूची वेबसाइट पर

प्रत्येक चरण में ऑनलाइन आवेदन करने पर अभ्यर्थियों की सूची वेबसाइट पर अपलोड हो जाती है। 100 प्रतिशत अंक वालों के नाम उनके परिणाम वाले शिक्षा बोर्ड की वेबसाइट पर देखकर हटाया जाता है। इसके बाद अन्य दावेदारों के नाम संबंधित प्रदेश के शिक्षा बोर्ड के पास भेज दिए जाते हैं। हालांकि, इस बीच नौकरी तो दे दी जाती है, लेकिन सत्यापन की प्रक्रिया चलती रहती है। सत्यापन में यदि किसी का प्रमाणपत्र फर्जी निकलता है, तो सेवा समाप्त कर दी जाती है।

बयान

"फर्जीवाड़े के चलते दो वर्षों से बहाली नहीं हो रही है। इसके चलते कई पद खाली हैं और मेरिट वाले अभ्यर्थी बहाल नहीं हो पा रहे हैं। फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ जांच जारी है।"

-शैलेंद्र कुमार, निदेशक-1 नार्थ बिहार डाक विभाग

"सीबीआइ द्वारा डाक विभाग में हुई गड़बड़ी को लेकर 2015 में केस किया गया था। उस वक्त 65 लोगों के ऊपर मामला संज्ञान में आने पर सभी के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इसमें अधिकांश लोग बर्खास्त हो चुके हैं।"

-अरुण कुमार शुक्ला, अधिवक्ता


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