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एफओ ने प्रशासनिक पदाधिकारी के वेतन पर उठाए सवाल, फिर हो गए मेहरबान, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय का मामला

Muzaffarpur Newsविश्वविद्यालय अधिनियम-1976 को ताक पर रखकर हो रहा वेतन भुगतान। गैर शैक्षणिक पद पर हुई थी नियुक्ति शैक्षणिक के आधार पर दी गई पदोन्नति। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में ललन कुमार पर वित्तीय अनियमितता व वेतन पर भी विवाद।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 05 Jun 2022 01:41 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jun 2022 01:41 PM (IST)
एफओ ने प्रशासनिक पदाधिकारी के वेतन पर उठाए सवाल, फिर हो गए मेहरबान, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय का मामला
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में ललन कुमार पर वेतन को लेकर विवाद। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

मुजफ्फरपुर, जासं। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के प्रशासनिक पदाधिकारी ललन कुमार पर वित्तीय अनियमितता के साथ ही उनके वेतन पर भी विवाद चल रहा है। विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी ने भी उनके वेतन पर पहले सवाल उठाया था। इसके बाद उन्होंने मेहरबान होकर दूसरी नियमावली का हवाला देते हुए वेतन भुगतान का आदेश दे दिया। कार्यक्रम पदाधिकारी सह प्रशासनिक पदाधिकारी की नियुक्ति गैर शैक्षणिक पद पर की गई थी। वित्त पदाधिकारी ने वेतन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि प्रशासनिक पदाधिकारी का वेतनमान उप कुलसचिव के छठे पुनरीक्षित वेतनमान के समकक्ष होगा।

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उप कुलसचिव का वेतनमान 15600-39100 और 7600 एजीपी होगा। पांच वर्ष संतोषप्रद सेवा के बाद इन्हें 37400-67000 और 8700 एजीपी में उपकुलसचिव का उत्क्रमित वेतनमान दिया जाएगा। वित्त पदाधिकारी ने सवाल उठाया कि नियुक्ति समिति की बैठक के बाद प्रकाशित विज्ञापन में उत्क्रमित वेतनमान के समकक्ष वेतन निर्धारण किया गया। इसी वेतनमान पर ललन कुमार की नियुक्ति कर दी गई। इसमें हवाला दिया गया कि बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना में उप कुलसचिव का वेतनमान 37400-67000 और 8700 एजीपी है। प्रशासनिक पदाधिकारी का पद उपकुलसचिव के समकक्ष है ऐसे में उन्हें भी यही वेतनमान दिया जाएगा, लेकिन जिस पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना के कुलसचिव के वेतनमान का जिक्र इसमें किया गया। उसके पद के लिए योग्यता स्नातकोत्तर है। वहीं दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के लिए जिस पद पर नियुक्ति की गई वह गैर शैक्षणिक और स्नातक स्तर का था। ऐसे में बिहार विश्वविद्यालय नियमावली-1976 की अनुमान्य होगा।

प्रोग्राम आफिसर सह समन्वयक की नियुक्ति के लिए बनी थी समिति

दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में चयन समिति की गठन प्रोग्राम आफिसर सह समन्वयक के पद पर चयन को लेकर हुई थी, लेकिन जो विज्ञापन निकाला गया उसमें पद का नाम प्रोग्राम आफिसर सह प्रशासनिक पदाधिकारी कर दिया गया। बाद में इस पद को रीडर के समकक्ष बताया गया। वहीं इस पद को सहायक प्राध्यापक के समकक्ष समझा गया।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की नियमावली के अनुसार कार्यक्रम पदाधिकारी के लिए अहर्ता नियमित रूप में चयनित सहायक प्राध्यापक तय किया गया। जब प्रशासनिक पदाधिकारी ललन कुमार की नियुक्ति ही गैर शैक्षणिक पद पर हुई तो उन्हें रीडर सह एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में पदोन्नति पर भी सवाल उठ रहा है। हालांकि बाद में उसी वित्त पदाधिकारी ने बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव की नियमावली के आधार पर ही इनके वेतन भुगतान की स्वीकृति दे दी। वित्त पदाधिकारी के दो प्रकार के रवैए से भी संदेह उत्पन्न हो रहा है।

निदेशक ने वेतन पर मांगा परामर्श तो सीधे विश्वविद्यालय को भेजने लगे संचिकाएं 

विश्वविद्यालय अधिनियम में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक को यह अधिकार प्रदान किया गया है कि उनका कोई भी अधीनस्थ पदाधिकारी या कर्मचारी कोई भी संचिका बिना उनकी सहमति के किसी के पास नहीं भेज सकता। नवंबर में डा.ओपी राय ने दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में निदेशक के पद पर योगदान दिया। जब ललन कुमार ने वेतन की संचिका तैयार कर उन्हें दिया तो उन्होंने प्रशासनिक पदाधिकारी के वेतनमान पर कुलपति और वित्त परामर्शी का मंतव्य मांगा। इसके बाद से ललन कुमार ने बिना निदेशक के सीधे संचिकाएं विश्वविद्यालय को भेजीं। वहीं विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर वेतन का भुगतान करा लिया। वित्तीय अनियमितता वाली फाइल भी निदेशक के आने के बाद अपने स्तर से भी निपटाया। निदेशक ने कुलपति से इसकी शिकायत कर ललन कुमार को निलंबित करने की अनुशंसा की है।

---वित्तीय अनियमितता की जांच के लिए शीघ्र जांच कमेटी का गठन किया जाएगा। इसमें दोषी पाए जाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी -- प्रो.आरके ठाकुर, कुलसचिव


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