इलाके में बाढ़ का उतरा पानी, पेट की चिंता भारी... Muzaffarpur News
1230 परिवार लस्करीपुर पंचायत में तो पैगंबरपुर कोल्हुआ में 550 परिवार बाढ़ पीडि़त। मिठनसराय-माधोपुर एनएच-57 फोरलेन पर चल रहा बाढ़ राहत शिविर।
मुजफ्फरपुर, [अमरेन्द्र तिवारी]। मिठनसराय-माधोपुर एनएच-57 फोरलेन स्थित बाढ़ राहत शिविर। उजड़े और तबाह घरों की हर ओर बिखरी दास्तां। एक-एक कर सहेजते चेहरे। शिविर में लस्करीपुर पंचायत के वार्ड नंबर 11, 12 व 13 और पैगंबरपुर कोल्हुआ पंचायत के वार्ड नंबर एक-दो व तीन के प्रभावित लोग शरण ले रहे। पूरे गांव का जनजीवन अस्त-व्यस्त। सरकारी राहत के भरोसे पीडि़त। शिविर बंद हो जाए तो उसके बाद की चिंता सता रही। तेज धूप व हल्की पुरवा चल रही।
शिविर के बाहर अनुराधा मंूग दाल तैयार करने में व्यस्त हैं। बच्चे फोरलेन पर खेलने में मस्त...। बाढ़ से ज्यादा खेल की चिंता...। अनुराधा कहती हैं, बाढ़ से त हम सब बच गेली, बाकी अब पेट के चिंता हई...। कामकाज बंद हई। शिविर में दूनो टायम खाना अउर पानी मिलत हई। कइसहूं पेट भरत हई। अब मौसम साफ हो गया है। बारिश थम गई है, इसलिए कभी भी शिविर बंद हो जाएगा। इसके बाद पेट और परिवार कैसे चलेगा, इसकी चिंता है। मौसम में सुधार हुआ तो मूंग तोड़कर रख रहीं। सावन के बाद भादो में बाढ़ आने पर यह दाल काम आएगी।
हम आगे निकलते हैं, दूसरे शिविरों में भी इसी तरह से लोग खाने के लिए अनाज की चिंता कर रहे। वहां मिलती हैं आशा देवी। कहती हैं कि 20 रोज पहले बाढ़ आने के बाद पानी भर गया। एनएच-57 फोरलेन पर आकर शरण लिए। पेटी और सामान तो बचा लाए, लेकिन अनाज और खाने का सामान डूब गया। किसी तरह पेट भर रहा। बाबू, भगवान ही आगे मालिक है।
पानी तो निकला, हालत खराब
यहीं मिलती हैं दुखन देवी और रचना देवी। कहती हैं कि घर से पानी तो निकल गया, लेकिन हर ओर कीचड़ ही कीचड़। घर में जाने पर भय लगता है। अनाज सडऩे से गैस भर गया है। अगर, इसी तरह धूप निकलती रहे तो एक सप्ताह बाद घर में रहने लायक होगा। अभी तो सांप का भी भय है। गांव में जाने के लिए नाव ही सहारा है। बाढ़ के कारण मजदूरी मिलने में भी संकट है। बचा हुआ सब बर्बाद हो गया। बच्चों को पानी के कारण स्कूल भेजना कठिन है।
आगे बढऩे मिले मुखिया इंद्रमोहन झा कहते हैं कि बाढ़ पीडि़तों के बीच नियमित भोजन का वितरण किया गया है। आगे भी कोशिश होगी कि पीडि़तों के बीच खाने का वितरण कराया जाए। लस्करीपुर पंचायत में 1230 परिवार तो पैगंबरपुर कोल्हुआ में 550 परिवार बाढ़ पीडि़त हैं। जब तक गांव से पानी नहीं निकलता, तब तक लोगों को सूखा अनाज मिलना चाहिए। अभी तक प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं दिख रही।
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