बाढ़ में डूबे घर, अब लगातार हो रही बारिश का अस्थाई ठिकानों पर कहर Muzaffarpur News
सड़क किनारे और बांधों पर शरण लिए मिठनसराय के बाढ़ पीडि़तों की बढ़ी मुसीबत सुरक्षा को लेकर चिंता। 02 दिन पहले रोड जाम कर हंगामा करने पर उपलब्ध कराई गई थी प्लास्टिक।
मुजफ्फरपुर, [अमरेन्द्र तिवारी]। बूढ़ी गंडक की धार की मार से गांव छोड़कर बांधों और एनएच-57 फोरलेन के किनारे बड़ी संख्या में बाढ़ पीडि़त शरण लिए हैं। कोई प्लास्टिक तो कोई साड़ी टांगकर गुजर-बसर कर रहा। बारिश नहीं होने से थोड़ी-बहुत स्थिति ठीक और सामान्य थी, लेकिन मंगलवार की रात से बुधवार की सुबह तक हुई बारिश ने उनकी परेशानी बढ़ा दी।
गांव छोड़कर मिठनसराय बांध पर परिवार के साथ पहुंचीं शीला देवी कहती हैं कि एक सप्ताह पहले घर घिर गया तो सामान लेकर परिवार समेत बांध पर आ गईं। बारिश नहीं होने से कम से कम दोपहर और रात में सिर छुपाने का बाल-बच्चों को मौका मिल जाता था। अभी बारिश में रतजगा करना पड़ता है। बारिश में एक भी कपड़ा नहीं बचा, सब भीग गए। दोपहर बाद बारिश थमी तो राहत मिली। सरकार की ओर से राहत शिविर चल रहा, तो सुबह-शाम भोजन मिल जाता है। दिलीप राम बताते हैं कि पीडि़तों के बीच प्रशासन की ओर से सूखा राहत सामान वितरण हुआ है। पैकेट में चूड़ा, चना और चीनी था।
दादर कोल्हुआ की स्थिति खराब
दादर कोल्हुआ पंचायत के वार्ड आठ में राहत नहीं मिलने से पीडि़तों की स्थिति खराब है। सिंगेश्वर सहनी ने बताया कि पीडि़तों का भगवान ही मालिक है। दो दिन पहले रोड जाम कर हंगामा किया गया तो प्लास्टिक की पन्नी मिली। अभी भी वहां पर राहत सामग्री नहीं मिल रही।
भारी बारिश होने के कारण मिठनसराय शिविर में पानी-पानी हो गया। शिविर प्रभारी मुकेश कुमार ने बताया कि आज स्कूल और आंगनबाड़ी सेंटर नहीं चले। कल से सब कुछ सामान्य हो जाएगा।
गांववालों को नाव का इंतजार
पैगंबरपुर कोल्हुआ पंचायत के वार्ड नंबर दो के कुणाल ने बताया कि उनके वार्ड में बांध के नीचे बसे सभी घरों में पानी है। बुधवार को पहली बार राहत वितरण शुरू हुआ। लेकिन, गांव वालों को नाव चाहिए। अगर, नाव रहती तो बांध से गांव में जाने में सहूलियत होती।