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अब पूरी होगी शहीद खुदीराम बोस की अंतिम इच्छा, फांसी स्थल पर चढ़ाई जाएगी मातृभूमि की मिट्टी Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा स्थित शहीद खुदीराम बोस के फांसी स्थल पर उनके शहादत दिवस के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसमें शहीद के परिजन भी शमिल होंगे।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 09:37 AM (IST)Updated: Sat, 10 Aug 2019 09:57 AM (IST)
अब पूरी होगी शहीद खुदीराम बोस की अंतिम इच्छा, फांसी स्थल पर चढ़ाई जाएगी मातृभूमि की मिट्टी Muzaffarpur News
अब पूरी होगी शहीद खुदीराम बोस की अंतिम इच्छा, फांसी स्थल पर चढ़ाई जाएगी मातृभूमि की मिट्टी Muzaffarpur News
मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। देश की आजादी में सबसे कम उम्र में फांसी के फंदे को चूमनेवाले अमर शहीद खुदीराम बोस की अंतिम इच्छा उनके परिजन अब पूरी करेंगे। 112वें शहादत दिवस पर रविवार को केंद्रीय कारा में आयोजित समारोह में खुदीराम की जन्मभूमि मिदनापुर की मिट्टी और उनके गांव से सटे हबीबपुर के सिद्धेश्वरी काली मंदिर का चरणामृत लेकर दीदी अपूर्णा देवी के पोते सुब्रत राय आ रहे हैं। मिट्टी व चरणामृत को फांसी स्थल और चिताभूमि पर समर्पित किया जाएगा। मिट्टी रखकर पौधे लगाए जाएंगे।
111 साल बाद पूरी होगी इच्छा
अमर शहीद खुदीराम बोस पर शोध करनेवाले पश्चिम बंगाल मिदनापुर निवासी अरिंदम भौमिक कहते हैं कि 111 साल बाद परिजन उनकी अंतिम इच्छा को पूरी करेंगे। बताया कि 1947 में बांग्ला लेखक अधिवक्ता ईशानचंद्र महापात्र लिखित पुस्तक शहीद खुदीराम से यह जानकारी मिली कि खुदीराम ने मुजफ्फरपुर जेल से मिदनापुर निवासी बहनोई अमृतबाबू को पत्र लिखकर सूचित किया था कि उनको 11 अगस्त को फांसी की तिथि मुकर्रर की गई है।
पत्र में खुदीराम ने चार आखिरी इच्छाएं जाहिर की थीं। इनमें पहला था कि वे एक बार अपने जन्मस्थान मिदनापुर को देखना चाहते हैं, दूसरी इच्छा दीदी और भतीजा ललित से मुलाकात, तीसरी इच्छा यह जानने कि भतीजी शिवरानी की शादी ठीक से हो गई या नहीं और चौथी इच्छा सिद्धेश्वरी कालीमाता का चरणामृत पीने की। 
तत्कालीन प्रशासन की ओर से बताया गया कि शिवरानी का विवाह हो चुका है, लेकिन शेष तीन इच्छाएं पूरी नहीं की गईं। इसकी जानकारी मिलने के बाद उनके खास रिश्तेदार अपने संग मिदनापुर की मिट्टी के साथ बचपन से जुड़ी पांच जगहों की यानी तमलुक हैमिल्टन स्कूल, कॉलेजिएट स्कूल हटगछिया (दासपुर), मोहबानी (उनके पिताजी का गांव) और उनकी बहन के गांव (हबीबपुर) से मिट्टी तथा सिद्धेश्वरी काली मां का (चरणामृत) लेकर आ रहे हैं।
लौटकर 111 पौधे लगाएंगे परिजन
जब परिजन लौटेंगे तो वापसी के बाद 111 पौधे लगाएंगे। अरविंद ने बताया कि पिछली बार वे यहां से मिट्टी व बूढ़ी गंडक का पानी लेकर लौटे तो बोस जिस कॉलेजिएट स्कूल में पढ़े, वहां 15 अगस्त 2018 और जन्मस्थान पर तीन दिसंबर 2018 को पौधारोपण किया गया। 

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