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कभी फुटबॉल में नाम, आज हो गया गुमनाम

इस समय फीफा विश्व कप का बुखार पूरी दुनिया के सिर चढ़ा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Jul 2018 02:00 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 02:00 PM (IST)
कभी फुटबॉल में नाम, आज हो गया गुमनाम
कभी फुटबॉल में नाम, आज हो गया गुमनाम

मुजफ्फरपुर। इस समय फीफा विश्व कप का बुखार पूरी दुनिया के सिर चढ़ा है। लेकिन, एक जमाना था जब दरभंगा से यह खुमार देश-विदेश में चढ़ता था। उस समय भारत में फुटबॉल दरभंगा राज में खेला जाता था। देश-विदेश की टीमें आती थीं। स्वतंत्रता के बाद भी यहां के फुटबॉल खेल की गूंज विदेशों तक रही। लेकिन, आज वह बात नहीं है।

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भारतीय फुटबाल संघ (आइएफए) की नींव 1934 में दरभंगा में ही पड़ी थी। संस्थापक अध्यक्ष राजा विशेश्वर ¨सह बनाए गए थे। बाद में संघ का नामकरण एआइएफए के रूप में हुआ। इसके अध्यक्ष विशेश्वर ¨सह और मानद सचिव राय बहादुर जेपी ¨सह बनाए गए। तब दरभंगा में महाराजा कुमार विशेश्वर ¨सह चैलेंज फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन होता था। प्रतियोगिता के संरक्षक तत्कालीन महाराजाधिराज कामेश्वर ¨सह थे।

इंग्लैंड में प्रकाशित होती थी खबर : प्रतियोगिता में अफगानिस्तान, अविभाजित भारत के पेशावर व लाहौर के अलावा इंग्लैंड और नेपाल आदि की टीमें शिरकत करती थीं। दिल्ली, मद्रास (अब चेन्नई), कलकत्ता (अब कोलकाता), बंबई (अब मुंबई), जयपुर, पटना और जमालपुर समेत देश के अन्य राज्यों की टीमें भाग लेती थीं। यहा होने वाले मैचों की खबरें इंग्लैंड के टेलीग्राफ में प्रकाशित होती थीं। ऐसी प्रतियोगिता दरभंगा कप के नाम से कोलकाता में भी होती थी। उस समय एक पत्रिका भी प्रकाशित होती थी। उसमें देश-विदेश के आने वाले सभी खिलाड़ियों के नाम और खेल मैदान में उनके स्थान के बारे में उल्लेख होता था। प्रतियोगिता की शुरुआत सितंबर में होती थी। राजा बहादुर विशेश्वर ¨सह के नाम पर एक और फुटबॉल प्रतियोगिता होती थी। अब इनके नाम पर मिथिला स्पो‌र्ट्स क्लब की ओर से 2017 से प्रतियोगिता शुरू की गई है। लेकिन, पहले वाली बात नहीं है।

बरसात में जलभराव, अन्य में रेगिस्तान : फुटबॉल इंद्र भवन स्थित मैदान और ललित नारायण मिथिला विवि के पूर्वी मैदान में होता था। यहां खेल प्रेमियों के लिए गैलरी का इंतजाम था। मेला सा नजारा होता था। अब यहां फुटबॉल और मैदान का हाल काफी बुरा है। ऐतिहासिक मैदानों में तीन हेलीपैड बन गए हैं। बरसात में जलभराव तो अन्य मौसम में मैदान रेगिस्तान बन जाता है। सामान्य दिनों में इन मैदानों में ठेले लगे रहते हैं।

70 के दशक तक रही रौनक : अपने जमाने के दिग्गज खिलाड़ी गणेश प्रसाद ¨सह और मगंद चौधरी का कहना है कि यहां फुटबॉल की रौनक 70 के दशक तक कायम रही। उस समय खिलाड़ियों को राज दरभंगा की ओर से नौकरी देकर प्रोत्साहित किया जाता था।

ललित नारायण मिथिला विवि के पदाधिकारीडॉ. अजयनाथ झा ने कहा कि खेल फुटबॉल मैदान इंद्र भवन के एक ग्राउंड को बनाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। बुनियादी सुविधाओं के लिए राज्य सरकार की ओर से प्रस्ताव आ चुका है। उस पर काम शुरू है। आने वाले समय में इस मैदान की चमक-दमक बढ़ने की संभावना है।


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